Ekdant Sankashti Chaturthi 2024 Date: हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी तिथि का बहुत महत्व होता है. संकष्टी चतुर्थी हर महीने में दो बार आती है, एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में. वहीं ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत कहा जाता है. यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है. इस दिन भक्त भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए मोदक, लड्डू, फल और फूल अर्पित करते हैं. इसके साथ ही वे दिन भर व्रत भी रखते हैं और शाम के समय चंद्रमा उदय होने के बाद ही व्रत तोड़ते हैं. तो चलिए इस लेख के जरिए आज हम आपको बताते हैं कि ज्येष्ठ माह की एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा करने से क्या लाभ मिलता है.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत आज (Ekdant Sankashti Chaturthi 2024 )
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार ज्येष्ठ माह की एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत आज यानि 26 मई को मनाई जा रही है. इस दिन भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा की जाती है और चंद्रोदय के बाद व्रत खोला जाता है.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत शुभ मुहूर्त (Ekdant Sankashti Chaturthi 2024 Shubh Muhurat)
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 26 मई को दोपहर 04 बजकर 36 मिनट से और इस तिथि का समापन 27 मई को दोपहर 03 बजकर 23 मिनट पर होगा.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत महत्व (Ekdant Sankashti Chaturthi Vrat Importance)
संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है. इस दिन, भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से सभी बाधाएं और संकट दूर होते हैं. यह भी माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से पापों का नाश होता है और सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Ekdant Sankashti Chaturthi 2024 Puja Vidhi)
एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन सबुह की शुरुआत गणपति बप्पा के ध्यान से करें. उसके बाद स्नान करें और घर की मंदिर की साफ-सफाई करें. साफ-सफाई करने के बाद गंगाजल का छिड़काव करें. अब सूर्य देव को अर्घ दें. सूर्य देव को अर्घ देने के बाद चौकी पर पीला या फिर लाल कपड़ा बिछाएं. उसके बाद इसपर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें. फिर इन्हें लाल चंदन, लाल फूल, दूर्वा, पान, सुपारी आदि आर्पित करें. इस दिन भोग के रूप में गणपती को मोदक जरूर अर्पित करें. मान्यता है कि ऐसा करने से गणेश जी जमकर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं. फिर दीपक जलाएं और आरती करें. आरती करने के बाद गणेश चालीसा भी पाठ अवश्य करें. आखिरी में प्रसाद का वितरण करें और श्रद्धा अनुसार दान-पुण्य करें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau