Everything About Kalyug: मैं कृष्ण, प्रत्येक युग में फिर से अवतार लूंगा, अच्छाई की रक्षा करने, बुराई का नाश करने और धर्म की पुनः स्थापना के लिए. महाभारत में एक ऐसी कथा छिपी हुई है, जिसे अर्जुन को सुनाया गया था और जिसका रहस्य कोई नहीं जानता. यह एक भविष्यवाणी है जो अब हमारे सामने सच हो रही है. आज हम ऐसे युग में जी रहे हैं जहां मर्यादा और धर्म की शक्ति कम होती जा रही है और अन्याय, हिंसा और दुखों का प्रभाव पृथ्वी पर बढ़ता जा रहा है. लेकिन जल्द ही एक ऐसा समय आएगा जब धरती भीतर से फटने लगेगी, आकाश से वर्षा होगी और मानव अपना दानवी रूप दिखाएगा. तब एक दिव्य योद्धा प्रकट होगा, जो अग्निमय तलवार के साथ एक सफेद घोड़े पर सवार होगा. उसका उद्देश्य इस अंधकार को समाप्त करना और इस संसार का अंत करना होगा. यह कथा भगवान विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार की है. यह कथा कल्कि अवतार की है.
कलियुग क्या है ? (What is Kaliyug)
कलियुग, जो समय चक्र के चार युगों में अंतिम युग है, घोर अंधकार और विनाश से भरा हुआ है. एक समय जब सत्य की आवाज़ को छल से दबा दिया जाता है, और पाप इतना बढ़ जाता है कि अच्छाई का कोई नामो-निशान नहीं रहता. क्रूरता, लोभ और हिंसा ने व्यक्ति को भीतर से अंधकारमय और खोखला बना दिया है. सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग के बाद, आज हम इस कलियुग में जी रहे हैं. शास्त्रों के अनुसार, कलियुग की आयु 4,32,000 वर्षों की है, जिसमें से 5000 वर्षों से अधिक का समय बीत चुका है. माना जाता है कि कलियुग के पहले 10,000 वर्ष स्वर्णिम काल हैं, जहां अच्छाई और आशा की किरण अब भी शेष है. जहां देवताओं की पूजा होती है और धर्म का पालन किया जाता है. लेकिन 10,000 वर्षों के बाद एक ऐसा समय आएगा जब मानवता का वीभत्स चेहरा सामने आएगा. एक ऐसा समाज बनेगा जहां कोई दया और एकता नहीं बचेगी. जहां पाप की आवाज़ सुनाई देगी और अच्छाई का नाश हो जाएगा. मनुष्य इतना भ्रष्ट हो जाएगा कि वह किसी पर विश्वास नहीं करेगा. वह अपने ही लोगों को धोखा देता रहेगा. हिंसा और लोभ सब कुछ समाप्त कर देंगे. इसके बाद पूरा संसार विनाश के कगार पर होगा. लोगों के पास खाने के लिए अन्न नहीं होगा. सभी नदियाँ सूख जाएंगी. आकाश में अंधकार छा जाएगा और वर्षा होगी. धरती सूखकर अंदर से फट जाएगी. क्योंकि एक खतरनाक और शक्तिशाली दानव, जिसका नाम कली है, जो क्रूरता, हिंसा और लोभ का प्रतीक है, अपने चरम पर होगा.
कल्कि भगवान का जन्म कब और कहां होगा? (When and where will Lord Kalki be born?)
कल्कि का अर्थ संस्कृत शब्द 'कल्क' से लिया गया है, जिसका अर्थ है वह जो इस पृथ्वी से सारी गंदगी को साफ करेगा. कल्कि का एक और अर्थ है, समय का अंत, यानी जो समय के अंत तक जीवित रहेगा. इसके अलावा, परशुराम उन्हें अपनी शरण में लेंगे और उन्हें 64 विद्याओं का ज्ञान देंगे, जैसे सभी वेद, पुराण और शास्त्र. इसी प्रकार, ये सभी चिरंजीवी कल्कि के अवतार को उनके उद्देश्य को पूरा करने में मदद करेंगे और इस प्रकार, कली के अंत की तैयारी करेंगे.
भगवद पुराण में लिखा है कि कल्कि इतने शक्तिशाली होंगे कि वह लाखों की संख्या में बुराई को आसानी से मार सकेंगे. वह एक क्षण में एक दुष्ट राजा के पूरे राज्य को नष्ट कर सकेंगे. कल्कि पुराण में कहा गया है कि कलियुग के अंत से कुछ वर्षों पहले, वैशाख की पूर्णिमा के 12 दिन बाद कल्कि का जन्म होगा. कल्कि का जन्म उत्तर प्रदेश के एक गांव सम्भल में होगा, जहां एक ब्राह्मण विष्णुयश उनके पिता होंगे और सुमति उनकी माता होंगी. उनके चार भाई भी होंगे जो उन्हें उनके मिशन को पूरा करने में मदद करेंगे.
उनका मिशन कली का नाश करना, अधर्म का विनाश करना और धर्म की स्थापना करना होगा. कल्कि मानव रूप में आएंगे लेकिन वह एक योद्धा का रूप धारण करेंगे. माना जाता है कि सात चिरंजीवी कल्कि के अवतार की मदद करने के लिए आएंगे, जो सदियों से अपने कार्य को पूरा करने और कल्कि के अवतार से मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. हनुमान, वेदव्यास, परशुराम, राजा बली, अश्वत्थामा, विभीषण और गुरु कृपाचार्य. वेदव्यास, गुरु कृपाचार्य और अश्वत्थामा उनके जन्म के समय उनसे मिलने आएंगे और उनका नामकरण करेंगे.
कलयुग के राक्षस कौन थे? (Who were the demons of Kaliyuga?)
कली का काला रंग अंधकार से भरा हुआ है, उसकी खुरची हुई त्वचा, मुंह से बाहर आती, बड़े दांत, लोभ से भरी लाल जीभ, आग जैसी आंखें और उसके शरीर से एक भयंकर दुर्गंध आती है. कली ऐसा दानव है जिसे देखकर मानव के मन में भय भर जाता है. कली की रचना अन्याय, क्रोध और लोभ से की गई है. कली डर, मृत्यु और यातना पर विजय पा सकता है. लेकिन कली सिर्फ एक दानव नहीं है, वह कलियुग का प्रतीक है. कलियुग का नाम कली पर रखा गया है. लोभ, ईर्ष्या और हिंसा. ये हथियार वह लोगों पर नियंत्रण करने के लिए इस्तेमाल करता है और उन्हें अपना अनुयायी बना लेता है. माना जाता है कि भविष्य में कली इतना शक्तिशाली हो जाएगा कि लोग देवताओं को छोड़कर कली की पूजा करने लगेंगे. कली के कहने पर लोग हर तरह के पाप करने के लिए तैयार हो जाएंगे. इसका प्रभाव उनके शरीर पर होगा. मानव का चेहरा धीरे-धीरे एक नरभक्षी दानव जैसा हो जाएगा. वे हिंसक हो जाएंगे और किसी को भी मारकर उनका मांस खा लेंगे.
कली का प्रभाव इतना गहरा होगा कि हर तरफ विनाश का माहौल हो जाएगा. हर जगह चोरी, झगड़े और रक्तपात होगा. संसार पूरी तरह से विनाश की स्थिति में होगा. जब ऐसा होगा, तब विष्णु अपने दसवें अवतार के रूप में अवतरित होंगे और कल्कि के रूप में जन्म लेंगे. वह देवदत्त नामक सफेद घोड़े पर सवार होंगे और सूर्य के समान चमकेंगे. उनके पास एक शक्तिशाली तलवार होगी और उनके शरीर से एक प्रकाश निकल रहा होगा. उनकी गहरी आंखें किसी के भी दिल की सच्चाई को देख लेंगी. उनका चेहरा उनके संकल्प का गवाह होगा और उनका शरीर एक महान योद्धा की तरह होगा, जो उनकी शक्ति और साहस का प्रतीक होगा.
क्या सतयुग फिर से शुरू होगा? (Will Satya Yuga start again?)
जब युद्ध का समय आएगा उस दिन गर्जना होगी, पूरी धरती पर सन्नाटा छा जाएगा और ऐसा लगेगा कि जैसे सब कुछ रुक गया है. अंततः कल्कि अपनी दिव्य सफेद घोड़े पर तेज तलवार के साथ कली के नगर में प्रवेश करेंगे ताकि अन्याय का अंत किया जा सके. जैसे ही वह युद्धक्षेत्र में कदम रखेंगे, उनके भीतर से एक तेज प्रकाश निकलने लगेगा और उनका दिव्य रूप चमक उठेगा. दूसरी ओर, कली अपनी पूरी शक्ति के साथ अपने भयंकर दानवी रूप में खड़ा होगा और फिर एक महान युद्ध शुरू होगा.
कली भी अपनी सभी शक्तियों और अपने सभी दूतों के साथ कल्कि पर आक्रमण करेगा. यह युद्ध इतना भीषण होगा कि धरती कांप उठेगी, सभी देवी-देवता इस युद्ध को देखने के लिए उपस्थित होंगे. हर तरफ हाथियों की गर्जना, तीरों की आवाज़ और गधों की चीत्कार गूँजेगी. युद्धभूमि पूरी तरह से खून से भर जाएगी. अंत में, कली कमजोर हो जाएगा, उसके शरीर पर कई घाव होंगे जिनसे दुर्गंध आने लगेगी. उसके चेहरे पर एक गहरा और लंबा घाव होगा, जिसमें से खून बह रहा होगा. इसके बाद, कली का पूरा नगर कल्कि की तलवार की आग से जलकर राख हो जाएगा. उसमें कली भी जलकर नष्ट हो जाएगा. अंततः बुराई का अंत और अन्याय का नाश होगा. जैसे ही कली की मृत्यु होगी, कलियुग का चक्र पूरा हो जाएगा और एक नए युग का प्रारंभ होगा. कल्कि के अवतार से एक नया सतयुग स्थापित होगा.
सभ्यता, धर्म और विज्ञान की दुनिया में एक सामान्य विचार है कि एक दिन सब कुछ समाप्त हो जाएगा. हर धर्म में इस प्रकार की भविष्यवाणी है जिसे हम अलग-अलग नामों से जानते हैं. ईसाई धर्म में आर्मगेडन, कयामत या न्याय का दिन जैसी भविष्यवाणियां हैं, इस्लाम में कयामत का दिन, यहूदी धर्म में अंत के दिन और विज्ञान के अनुसार भी उनके अपने सिद्धांत हैं जैसे सूर्य का अंत, पृथ्वी से टकराने वाला क्षुद्रग्रह, परमाणु युद्ध, भ्रष्टाचार, जलवायु परिवर्तन, महामारी या एआई तकनीक. लेकिन इन सभी कथाओं में एक बात समान है कि जब भी संसार में अन्याय बढ़ेगा तब संसार अपने अंत की ओर बढ़ेगा.
कल्कि मंदिर में जीवंत हो रही है देवदत्त की प्रतिमा!
ऐसा माना जाता है कि जयपुर के कल्कि मंदिर में देवदत्त की प्रतिमा धीरे-धीरे जीवंत हो रही है. जब मंदिर बनाया जा रहा था, तो प्रतिमा के बाएं पैर पर एक घाव बना हुआ था. कोई नहीं जानता कि वह निशान कब और कैसे बना. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद घाव ठीक नहीं हो पाया. इस कारण उसे वैसा ही छोड़ दिया गया. लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि समय के साथ वह घाव अपने आप ठीक हो रहा था. माना जाता है कि देवदत्त धीरे-धीरे जीवंत हो रहा है और कल्कि का इंतजार कर रहा है. जिस दिन वह घाव पूरी तरह से ठीक हो जाएगा, उस दिन देवदत्त जीवंत हो जाएगा और वह दिन वह होगा जब कल्कि का अवतार जन्म लेगा. कुछ लोग यह भी मानते हैं कि घाव तेजी से ठीक हो रहा है क्योंकि मानवता समय से पहले ही बुराई की सीमा को पार कर रही है. और कल्कि समय से पहले ही इस पृथ्वी पर अवतरित हो जाएंगे.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)