भगवान श्रीकृष्ण (Lord Sri Krishna) की जन्मस्थली मथुरा में उनके गांव नन्दगांव (जहां गोकुल से आने के बाद उनका पालन-पोषण हुआ) में 11 अगस्त को उनका जन्मोत्सव धूमधाम से मनाए जाने की तैयारियां अब अंतिम चरण में हैं. नन्दगांव के गोस्वामी समाज ने तय किया है कि भगवान के जन्म के अवसर पर मनाई जाने वाली सभी परम्पराएं पूर्ववत ही निभाई जाएंगी, भले ही कोरोना (Corona Virus) के चलते उनके स्वरूप को प्रतीकात्मक आकार ही क्यों न दे दिया जाए. जिसके तहत इस अवसर पर हर वर्ष वितरित किए जाने वाले खुशी के लड्डू बांटे जाने का कार्य भी किया जाएगा. खास तौर पर बरसाना के गोस्वामी समाज के लिए जो छबरिया (लकड़ी से बनी डलिया) में लड्ड भरकर भेजे जाते थे, वे भी भेजे जाएंगे. जबकि, पहले कोरोना के भय से इस बारे में यह निर्णय लिया गया था कि इस बार यह परम्परा स्थगित कर दी जाए.
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गोस्वामी समाज के प्रमुख व्यक्तियों में से एक डॉ. हरिमोहन गोस्वामी व डॉ. भुवनेश गोस्वामी ने बताया कि इस विषय पर समाज के लोगों की बैठक में शुक्रवार को निर्णय किया गया है कि भगवान के जन्म के अवसर की कोई भी परम्परा तोड़ी नहीं जाएगी, भले ही उसे प्रतीकात्मक रूप से निभाया जाए, परंतु निभाया अवश्य जाएगा. आवश्यक हुआ तो आंशिक संशोधन कर लिया जाएगा.
उन्होंने बताया, ‘‘मंगलवार को जन्माष्टमी वाले दिन संध्याकाल में नन्दभवन में समाज गायन किया जाएगा. रात दस बजे मंदिर प्रांगण में ढांढ पुरोहित द्वारा नन्दबाबा की वंशावली का बखान किया जाएगा. मध्य रात्रि मंदिर में पंचामृत से लाला के श्रीविग्रह का गुप्त अभिषेक सम्पन्न किया जाएगा. नवमी के दिन नन्दोत्सव के अवसर पर दधि कांधा, मल्ल युद्ध, बांस बधाई, शंकर लीला आदि का मंचन होगा.’’
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सेवायतों ने बताया, ‘‘नन्द महोत्सव के दौरान श्रीकृष्ण-बलराम को रजत हिण्डोले में जगमोहन में विराजमान किया जाएगा. लेकिन जिला प्रशासन के दिशा-निर्देशों के अनुसार 11 व 12 अगस्त को सभी कार्यक्रमों के दौरान किसी भी (स्थानीय हो अथवा बाहरी) श्रद्धालु को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा.’’
Source : Bhasha