कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने शनिवार को कहा कि न केवल उन्हें, बल्कि सभी को यह जानने का अधिकार है कि अयोध्या में राम मंदिर के नाम पर जुटाए गए धन का उपयोग किस तरह किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वे यह भी जानना चाहेंगे कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने के लिए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा शुरू किए गए धन जुटाने के अभियान में उन्होंने खुद भी योगदान दिया है या नहीं. इसके अलावा कितना धन एकत्र किया जा रहा है. सिद्धारमैया ने कहा, मुझे कोई समस्या नहीं है कि कोई राम मंदिर बनाता है या नहीं. लेकिन इस देश के नागरिक के रूप में, मुझे देशभर में धन जुटाने के अभियान शुरू करने वाले किसी भी व्यक्ति से स्पष्टीकरण मांगने का पूरा अधिकार है.
विपक्ष के नेता ने कहा कि उसी विहिप ने 1990 के दशक की शुरुआत में भी लोगों से संपर्क कर धन एकत्र किया था. यह वह समय था, जब भाजपा ने मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने का विरोध करने के लिए अपनी रथयात्रा शुरू की थी. उन्होंने कहा, यह तब था, जब मंडल बनाम कमंडल की राजनीति इस देश में आकार लेने लगी थी. उसी बीच विहिप ने राम मंदिर निर्माण के लिए धन एकत्र किया था. इस संगठन ने तत्कालीन अभियान के बारे में भी कोई विवरण देश को नहीं दिया है.
उन्होंने कहा, उन्हें उस फंड (एकत्र धनराशि) के बारे में और मौजूदा फंड कलेक्शन के बारे में जानकारी देनी चाहिए. विपक्षी नेता ने स्थिति स्पष्ट करने पर जोर देते हुए कहा कि यह तो एक राष्ट्रीय अभियान है और इसमें किसी भी प्रकार को कोई विवाद का कारण नहीं बचना चाहिए.
उन्होंने कहा कि अगर उनकी अंतरात्मा की आवाज स्पष्ट है तो भाजपा नेता या विहिप नेता फिर क्यों परेशान हो रहे हैं? उन्होंने कहा, अगर वे धन इकट्ठा करने में स्वतंत्र और निष्पक्ष हैं, तो उन्हें बताएं कि उन्होंने कितना संग्रह किया है, किस उद्देश्य के लिए उन्होंने कितना उपयोग किया और मंदिर बनाने के लिए कितना आवश्यक है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह राम मंदिर के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन ये प्रश्न उन लोगों पर इंगित किए जाते हैं, जो धन एकत्र कर रहे हैं.
सिद्धारमैया ने कहा, भाजपा और विहिप राम मंदिर की आड़ में इन तथ्यों को छिपाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. मैंने राम मंदिर का विरोध नहीं किया है, बल्कि मैं भाजपा और विहिप की मंशा पर सवाल उठा रहा हूं. एक सवाल का जवाब देते हुए, उन्होंने कहा कि वह विहिप को योगदान नहीं देना चाहेंगे, बल्कि इसके बजाय वे अपने गांव - सिद्धारमनहुंडी - जहां वे पैदा हुए थे, वहां राम मंदिर बनाकर खुश होंगे.
Source : IANS