ये हैं पाकिस्तान के प्रसिद्ध चमत्कारी हिंदू धर्म के मंदिर, आतंकवादी भी इन्हें नहीं तोड़ पाए

भारत के प्रसिद्ध मंदिरों और उनके चमत्कारों के बारे में तो आप जानते होंगे, लेकिन क्या आप पाकिस्तान के चमत्कारी हिंदू मंदिरों के बारे में जानते हैं. ये ऐसे मंदिर हैं जिन्हें कई बार आतंकियों ने तोड़ने की नाकाम कोशिश भी की है.

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Inna Khosla
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hindu temple in pakistan

Hindu Temple in Pakistan( Photo Credit : News Nation)

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पाकिस्तान में हिंदुओं के कई प्राचीन मंदिर मौजूद हैं, जिनमें से कईयों का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्त्व भी है. लेकिन हिन्दुओं के लिए बड़े अफसोस की बात है कि ये सभी मंदिर पाकिस्तान सरकार की उपेक्षा का शिकार हो रही हैं. पाकिस्तान में ऐसे कई रहस्यमयी मंदिर जो आतंकवादियों ने तोड़ने के बावजूद भी मौजूद हैं. लाख कोशिशों के बाद भी वो इन मंदिरों को तोड़ नहीं पाते. कुछ मंदिर खंडरों में तब्दील है तो कुछ बहुत ही अच्छे दिखते हैं लेकिन उन मंदिरों को तोड़ने का प्रयास बार-बार पाकिस्तानी और आतंकवादी करते हैं, लेकिन फिर भी उन मंदिरों का वह कुछ नहीं बिगाड़ पाते. वैसे पाकिस्तान में हिन्दू मंदिर बहुत कम ही देखने को मिलते हैं. आज कुछ मंदिर खंडर हैं तो कुछ अच्छे हैं. 

हिंगलाज माता का मंदिर 

ये मंदिर ब्लूचिस्तान में स्थित है. इस मंदिर की गिनती देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक होती है. ऐसा कहा जाता है कि इस जगह पर आदि शक्ति का सिर गिरा था. ये मंदिर के ललियारी जिले के हिंगोली नदी के किनारे स्थित है. प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर ये जगह इतनी खूबसूरत है कि यहां आने वाले व्यक्ति का मन वापस लौटने का नहीं होता. कहते हैं कि सती की मृत्यु से नाराज भगवान शिव ने यही अपना तांडव खत्म किया था. एक मान्यता यह भी है कि रावण को मानने के बाद राम ने खुद यहां आकर तपस्या की थी. साथ ही भारत पाक बंटवारे से पहले यहां लाखों की तादात में श्रद्धालु आया करते थे, लेकिन अब बिगड़ते हालातों के चलते श्रद्धालुओं की संख्या बहुत कम हो गई है. मंदिर में कम ही लोग आते है.

गौरी मंदिर 

पाकिस्तान में स्थित ये विशाल गौरी मंदिर की बहुत मान्यता है है. ये सिंध प्रांत के थार पारकर जिले में स्थित है. पाकिस्तान के जिले में हिंदू बहुसंख्यक है और इनमें अधिकतर आदिवासी है. पाकिस्तान में इन्हें धारी हिंदू कहा जाता है. गौरी मंदिर मुख्य रूप से जैन मंदिर है, लेकिन इसमें अनेको देवी देवताओं की मूर्तियां आज भी मौजूद है. इस मंदिर की स्थापत्य शैली भी राजस्थान और गुजरात की सीमा पर बसे माउंट आबू में स्थित मंदिर जैसी ही है. 

मरी इंडस मंदिर

कालाबाग में स्थित इस मंदिर का निर्माण पांचवीं सदी में हुआ था. दरअसल मरी नामक ये जगह उस समय गांधार प्रदेश का हिस्सा थी. चीनी यात्री अपनी पुस्तक में मणि का उल्लेख किया है. वैसे अब ये प्राचीन मंदिर धीरे-धीरे अपनी चमक खोता जा रहा है. ये मंदिर स्थापत्य की दृष्टि से अद्भुत है लेकिन उपेक्षा के कारण खंडर हो चुका है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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