Puja phool: पूजा में फूलों का विशेष महत्व है. वे भक्ति, समर्पण और शुभकामनाओं का प्रतीक हैं. कई देवी-देवताओं की अपनी पसंद के फूल होते हैं, और पूजा में उन्हीं फूलों का उपयोग करना शुभ माना जाता है. फूलों का धार्मिक महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों में उपयोग किया जाता है. फूलों को हमारे जीवन में विशेषता से अभिव्यक्ति देने के लिए भी प्रशंसा किया जाता है. फूलों को भगवान की पूजा और उपासना में उपयोग किया जाता है. इन्हें ध्यान में लाने के लिए प्रसन्नता और भक्ति का प्रतीक माना जाता है. धार्मिक आयोजनों जैसे विवाह, श्राद्ध, व्रत आदि में फूलों का उपयोग किया जाता है. ये आयोजनों को सुंदर और पवित्र बनाने में मदद करते हैं. कई धर्मों में फूलों को आध्यात्मिक अर्थ में भी महत्वपूर्ण माना जाता है. ये मन, शांति, और आनंद के प्रतीक के रूप में स्वीकार किए जाते हैं. कुछ फूल जैसे कि जस्मीन और रोज़मेरी का अध्ययन करने से माना जाता है कि ये ध्यान और मेधा शक्ति को बढ़ाते हैं. कुछ फूलों को शुभता का प्रतीक माना जाता है जबकि कुछ को अशुभता का. उदाहरण के लिए, गुलाब को शुभ माना जाता है जबकि काला गुलाब को अशुभ.
शुभ फूल:
कमल: कमल भगवान विष्णु, लक्ष्मी और सरस्वती का प्रिय फूल है. यह ज्ञान, पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक है. कमल के फूल को पूजा में चढ़ाने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और मन शांत होता है.
गेंदा: गेंदे का फूल भगवान गणेश और दुर्गा का प्रिय फूल है. यह शक्ति, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है. गेंदे के फूल को पूजा में चढ़ाने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और बाधाएं दूर होती हैं.
गुलाब: गुलाब का फूल प्रेम, भक्ति और सुंदरता का प्रतीक है. यह भगवान शिव और कृष्ण को भी अर्पित किया जाता है. गुलाब के फूल को पूजा में चढ़ाने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और प्रेम संबंधों में मधुरता आती है.
मोगरा: मोगरा का फूल अपनी सुगंध के लिए जाना जाता है. यह भगवान शिव और हनुमान को अर्पित किया जाता है. मोगरा के फूल को पूजा में चढ़ाने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और मन शांत होता है.
चमेली: चमेली का फूल भगवान शिव और विष्णु को अर्पित किया जाता है. यह पवित्रता, सौंदर्य और सुगंध का प्रतीक है. चमेली के फूल को पूजा में चढ़ाने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और वातावरण में सुगंध फैलती है.
अशुभ फूलों के कुछ उदाहरण:
केतकी: केतकी का फूल भगवान शिव को अर्पित नहीं किया जाता है. यह मृत्यु और शोक का प्रतीक माना जाता है.
बेल: बेल का फूल मृत्यु और शोक का प्रतीक माना जाता है. इसे पूजा में इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
तुलसी: तुलसी का फूल भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है, लेकिन इसे अन्य देवी-देवताओं को अर्पित नहीं किया जाता है.
कनेर: कनेर का फूल जहरीला होता है और इसे पूजा में इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
पूजा के लिए हमेशा ताजे फूलों का उपयोग करें. मुरझाए हुए या सूखे फूलों का उपयोग नहीं करना चाहिए. सुगंधित फूल पूजा में अधिक शुभ माने जाते हैं. पूजा के लिए खिले हुए फूलों का उपयोग करें. कलियों वाले फूलों का उपयोग नहीं करना चाहिए. पूजा के लिए फूलों को तोड़ना या कुचलना नहीं चाहिए. पूरे फूलों का उपयोग करना चाहिए. कुछ क्षेत्रों में, लाल रंग के फूलों को शुभ माना जाता है, जबकि अन्य क्षेत्रों में उन्हें अशुभ माना जाता है. कुछ परंपराओं में, सफेद रंग के फूलों को शुभ माना जाता है, जबकि अन्य परंपराओं में उन्हें शोक का प्रतीक माना जाता है. इसलिए, पूजा के लिए फूलों का चुनाव करते समय अपनी क्षेत्रीय और पारंपरिक मान्यताओं का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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Source : News Nation Bureau