आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) की अर्थनीति, कूटनीति और राजनीति विश्वविख्यात है, जो हर एक को प्रेरणा देने वाली है. चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और सलाहकार आचार्य चाणक्य के बुद्धिमत्ता और नीतियों से ही नंद वंश को नष्ट कर मौर्य वंश की स्थापना की थी. आचार्य चाणक्य ने ही चंद्रगुप्त को अपनी नीतियों के बल पर एक साधारण बालक से शासक के रूप में स्थापित किया. अर्थशास्त्र के कुशाग्र होने के कारण इन्हें कौटिल्य कहा जाता था. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के जरिए जीवन से जुड़ी समस्याओं का समाधान बताया है.
चाणक्य नीति का संस्कृत-साहित्य में नीतिपरक ग्रन्थों की श्रेणी में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति शास्त्र में सफलता पाने के सुझाव और सूत्र नीतियों के रूप में बताए हैं. चाणक्य नीति के अनुसार, जिन लोगों को नौकरी-व्यापार के क्षेत्र में सफलता पाना हो तो उन्हें कुछ विशेष नीतियों का पालन करना बेहद ही आवश्यक है. चाणक्य कहते हैं कि अगर करियर में पाना चाहते है सफलता तो इन चार बातों को हमेशा याद रखना चाहिए :
अनुशासन : बिना अनुशासन के कोई भी कार्य समय से पूरा नहीं होता है. जिस व्यक्ति को नौकरी-व्यापार में सफलता पाना है तो उन्हें अपने काम के प्रति ईमानदार और अनुशासित होना बेहद जरूरी है. चाणक्य के अनुसार अनुशासन से ही व्यक्ति में परिश्रम की भावना का विकास होता है.
असफलता का डर : आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी व्यापार में सफल होने के लिए व्यक्ति में जोखिम भरे फैसले लेने की क्षमता होनी चाहिए. आचार्य चाणक्य के अनुसार, वही व्यक्ति सफल होता है जो असफलता से नहीं डरता है.
व्यवहार कुशलता : चाणक्य नीति के अनुसार, व्यापार हो या फिर नौकरी व्यक्ति का व्यवहार कुशल होना बहुत आवश्यक होता है. चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जो लोग बातों के धनी होते हैं वे बहुत जल्दी ही लोगों को प्रभावित कर लेते हैं.
सबका साथ : चाणक्य नीति के अनुसार जिस व्यक्ति में सबको साथ लेकर चलने के प्रवृत्ति होती है वही अपने जीवन में सफल बनता है. कोई भी व्यक्ति अकेले सफल नहीं हो सकता है. सफलता पाने के लिए बहुत सारे लोगों के सहयोग की आवश्कता होती है. इसलिए हर व्यक्ति को उसकी क्षमता के अनुसार साथ लेकर कार्य करें.
Source : News Nation Bureau