Gajkesari Yog: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, कुंडली (Kundali) में कई प्रकार के योगों का निर्माण होता है. इन्हीं योगों में सबसे श्रेष्ठ और शुभ है गजकेसरी योग है. कहा जाता है इस योग के प्रभाव से आर्थिक उन्नति की प्रबल संभवना बनती है. साथ ही इस योग के प्रभाव से नौकरी (Job) में पदोन्नति (Promotion) का भी योग बनता है. यही नहीं, इस योग का प्रभाव ऐसा है कि व्यक्ति राजस्व का सुख तक भोगता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस योग के कुंडली में होने का सीधा सीधा मतलब है कि धन और बल में आपका भाग्य तीव्र होना. ऐसे में चलिए जानते हैं गजकेसरी योग से जुड़ी समस्त बातें और रोचक रहस्य.
कुंडली में गजकेसरी योग कब बनता है? (When is Gajkesari Yog formed in Kundali)
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, कुंडली में गजकेसरी योग तब बनता है जब बृहस्पति और चंद्र ग्रह की युति होती है. बृहस्पति और चंद्रमा जब एक साथ आते हैं तो उससे गजकेसरी योग का निर्माण होता है. यह एक ऐसा शुभ योग है जो चंद्रमा और बृहस्पति से बनता है. बृहस्पति को ज्योतिष में शुभ ग्रह माना गया है. बृहस्पति देव को दोवताओं का गुरू होने का सौभाग्य प्राप्त है. वहीं चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है.
क्या होता है गजकेसरी योग (What is Gajkesari Yog?)
गजकेसरी योग के बारे में कहा जाता है कि गज यानि हाथी और केसरी का अर्थ स्वर्ण होता है. यानि यह योग शक्ति और धन से जुड़ा हुआ योग है. कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की कंडली में गजकेसरी योग का निर्मण होता है उस इंसान के पास हाथी जैसा बल और लक्ष्मी जी का आशीर्वाद बना रहता है. इसलिए लोग गजकेसरी योग की अवधि में खूब आर्थिक तरक्की करते हैं. कहा जाता है कि ऐसे लोग जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं.
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गजकेसरी योग का लाभ कब नहीं मिलता है ? (When does not get the benefit of Gajakesari Yoga?)
गजकेसरी योग कुंडली में होने के बावजूद भी कुछ परिस्थितियों में इस योग का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है. ऐसा तभी होता है जब इस योग पर राहु या अन्य किसी पापी ग्रह की नजर पड़ती है. माना जाता है कि राहु की नजर से इस योग का लाभ नहीं मिलता है. इसके अलावा जब कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है तो गजकेसरी योग का लाभ नहीं मिलता है.
गजकेसरी योग को मजबूत कैसे किया जाता है? (How to strengthen Gajakesari Yoga)
ज्योतिष शास्त्र की मानें, तो गजकेसरी योग का लाभ प्राप्त करने के लिए चंद्रमा और बृहस्पति का मजबूत होना जरूरी है. ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मजबूत बनाने के लिए भगवान शिव की पूजा करने की सलाह दी जाती है. साथ ही पूर्णिमा पर चंद्रमा को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है. इसके अलावा गुरुवार को बृहस्पतिदेव की पूजा की जाती है.