'गणपति बप्पा मोरिया' की गूंज के साथ गणेश चतुर्थी का आगाज हो गया है. आज गणेश जी लोगों के घरों में विराजेंगे और अगले 10 दिनों तक उनकी धूमधाम से पूजा की जाएगी. चतुर्थी तिथि दो सितंबर को सुबह 9.02 बजे लग रही है जो तीन सितंबर को सुबह 6.50 बजे तक रहेगी. मान्यताओं के अनुसार गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था. इसीलिए हर साल इस दिन गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जाती है. इस साल ये तिथि 2 सितंबर को है. ऐसे में गणेश चतुर्थी का त्योहार 2 सितंबर से शुरू होगा जो अगले 10 दिनों यानी 12 सितंबर तक मनाया जाएगा. 12 सितंबर को गणेशजी का धूमधाम से विसर्जन किया जाएगा.
गणेश प्रतिमा की स्थापना का मुहूर्त
मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा दोपहर के समय करना शुभ होता है. दरअसल भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न के समय ही भगवान गणेश का जन्म हुआ था. ऐसे में गणेश चतुर्थी के दिन मध्याह्न काल में अभिजित मुहूर्त पर गणेश जी की प्रतिमा का स्थापना करना बेहद शुभ रहेगा. आज यानी गणेश चतुर्थी के दिन अभिजित मुहूर्त सुबह लगभग 11.55 से शुरू होकर 2.40 तक रहेगा. इसेक अलावा पूरे दिन शुभ संयोग होने से सुविधा अनुसार किसी भी शुभ लग्न या चौघड़िया मुहूर्त में गणेशजी की स्थापना कर सकते हैं.
Mumbai: Darshan of the Ganpati idol at Lalbaugcha Raja begins. #GaneshChaturthi. pic.twitter.com/2SZpVaNNcP
— ANI (@ANI) September 2, 2019
गणेश चतुर्थी पर काफी लंबे समय बाद कई शुभ संयोग बनेंगे. एक ओर जहां ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति से शुक्ल और रवियोग बनेगा, वहीं सिंह राशि में चतुरग्रही योग भी बन रहा है. यानी सिंह राशि में सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र एक साथ विद्यमान रहेंगे. ग्रहों और सितारों की इस शुभ स्थिति के कारण इस त्योहार का महत्व और शुभता और बढ़ जाएगी. दो सितंबर को गणेश चतुर्थी के साथ ही दस दिवसीय गणेशोत्सव शुरू हो जाएगा. लंबे समय बाद इस बार गणेश चतुर्थी पर दो शुभ योग और ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है, जिसकी वजह से गणेश चतुर्थी का महत्व बढ़ गया है.
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गणपति भगवान की सुबह शाम करें पूजा
अगर आप गणपति को घर लाते हैं तो उन्हें अकेला मत छोड़े. घर में हर वक्त कोई ना कोई होना चाहिए. गणपति भगवान की सुबह और शाम दोनों वक्त पूजा करें और मोदक समेत अलग-अलग चीजों का भोग लगाए.
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गणेश चतुर्थी को चंद्रमा के दर्शन करने से बचें
गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन से बचना चाहिए, नहीं तो परेशानी हो सकती है. भाद्र पद शुक्ल चतुर्थी की रात को चन्द्रमा देखने वाला कलंक का भागी होता है. इसी दिन चंद्रमा ने गणपति की पूजा करके शाप से मुक्ति पाई थी. इस दिन को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है. गणेश चतुर्थी को जो भी सच्चे मने से बप्पा की पूजा करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो.