2 सितंबर को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है. पुराणों के अनुसार इस दिन गणेश भगवान का जन्म हुआ था. पूरे देश भर में गणेश चतुर्थी को धूमधाम से मनाया जाता है. लोगों अपने-अपने घरों में बप्पा को अतिथि बनाकर लाते हैं. 10 दिन तक यह उत्सव चलता है. अनंत चतुर्दशी को इस वादे के साथ की गणपति बप्पा अगले बरस जल्द आना कह कर उनका विसर्जन कर दिया जाता है.
गणपति भगवान की सुबह शाम करें पूजा
अगर आप भी अपने घर में गणपति बप्पा को लाने जा रहे हैं तो कुछ बातों का ख्याल जरूर रखें. सबसे पहले तो यह सुनिश्चित कर ले कि अगर आप गणपति को घर लाते हैं तो उन्हें अकेला मत छोड़े. घर में हर वक्त कोई ना कोई होना चाहिए.
गणपति भगवान की सुबह और शाम दोनों वक्त पूजा करें और मोदक समेत अलग-अलग चीजों का भोग लगाए.
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घर में झगड़े मत करें और ना ही किसी के लिए गलत भावना मन में लाए. सात्विक मन से गणपति बप्पा की पूजा अर्चना करें और घर का माहौल भक्तिमय बनाए रखें.
गणेश चतुर्थी को चंद्रमा के दर्शन करने से बचे
गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन से बचना चाहिए, नहीं तो परेशानी हो सकती है. भाद्र पद शुक्ल चतुर्थी की रात को चन्द्रमा देखने वाला कलंक का भागी होता है. इसी दिन चंद्रमा ने गणपति की पूजा करके शाप से मुक्ति पाई थी. इस दिन को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है. गणेश चतुर्थी को जो भी सच्चे मने से बप्पा की पूजा करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है.
बाईं तरह सूंढ वाले गणपति की प्रतिमा को घर लाए
गणपति की प्रतिमा लाते वक्त ख्याल रखें कि वो बैठे हुए मुद्रा में हो और उनकी सूंढ बाईं तरफ हो. ऐसे रूप वाले गणपति भगवान शुभ होते हैं. गणेशजी की प्रतिमा को विरजमान करने से पहले कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं. चार हल्दी की बिंदी लगाएं.
भगवान गणेश की पीठ के दर्शन कभी नहीं करने चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि उनकी पीठ पर दरिद्रता का वास है, जो भी पीठ के दर्शन करता है तो दरिद्रता का प्रभाव बढ़ जाता है. गणपति की स्थापना पूरब-पश्चिम में करें. इसके साथ ही गणेशजी की पत्नी रिद्धि और सिद्धि एवं पुत्र शुभ और लाभ की भी पूजा करनी चाहिए. यही नहीं मूषक भी पूजा करनी चाहिए.
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गणेश भगवान को भूल के तुलसी का पत्ता नहीं चढ़ाना चाहिए. पुराणों में गणेश भगवान को भोग लगाते वक्त तुलसी जी को वर्जित बताया गया है.
गणेश प्रतिमा स्थापना के लिए पहला मुहूर्त
सोमवार को गणेश चतुर्थी होने के कारण सुबह 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक राहुकाल रहेगा. इसलिए सुबह 6 बजे से साढ़े सात बजे के बीच गणेश प्रतिमा की स्थापना कर सकते हैं. इसके अलावा सुबह 9 बजे से लेकर 10 बजकर 30 मिनट तक मूर्ति स्थापना के लिए दूसरा शुभ मुहूर्त है.