Ganesh Ji ki Aarti: प्रत्येक बुधवार को जरूर करें ये आरती, गणपति बप्पा होंगे बेहद प्रसन्न, जीवन की सभी बाधाएं भी होंगी दूर

Ganesh Ji ki Aarti: गणपति बप्पा की पूजा के लिए बुधवार का दिन सबसे शुभ माना गया है. इस दिन पूजा-पाठ के अलावा आपको गणेश जी की आरती भी जरूर पढ़नी चाहिए.

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Sushma Pandey
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 Ganesh Ji ki Aarti

 Ganesh Ji ki Aarti( Photo Credit : NEWS NATION)

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 Ganesh Ji ki Aarti: सनातन धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में भगवान गणेश प्रथम पूज्य देवता माने गए हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विधिपूर्वक गणपति बप्पा की पूजा करने से जातक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. वहीं गणपति बप्पा की पूजा के लिए बुधवार का दिन सबसे शुभ माना गया है. इस दिन पूजा-पाठ के अलावा आपको गणेश जी की आरती भी जरूर पढ़नी चाहिए. कहा जाता है कि आरती पढ़ने से सौभाग्य में वृद्धि होती है. आइए यहां पढ़ें  भगवान श्री गणेश की पूरी आरती.

गणेश जी की आरती 

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।

माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।

लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

इस स्तोत्र का भी करें जाप

प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।

भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ।।

प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।

तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ।।

लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।

सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ।।

नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ।।

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ।।

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।

पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ।।

जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।

संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ।।

अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ।।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।) 

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Source : News Nation Bureau

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