हर साल ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाने वाला गंगा दशहरा का पवित्र पर्व इस साल 1 जून यानी सोमवार को मनाया जाएगा. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था. इस दिन गंगा में किए गए स्नान का काफी महत्व बताया जाता है. इस दिन किए गए दान-पुण्य करने से उसका फल कई गुना बढ़ जाता है. गंगा दशहरा के दिन वाराणसी और हरिद्वार में हजारों श्रद्धालु गंगा स्नान करके अपने पाप को काटने की मां गंगा से प्रार्थना करते हैं. इस दिन गंगा में खड़े हो कर मां गंगा की आराधना और आरती करने से जीवन के सारे कष्ट मिट जाते हैं. हर साल इस तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है.
मां गंगा के अवतरण की कहानी
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, ऋषि भगीरथ ने अपने पूर्वजों को जन्म मरण (जीवन चक्र) के बंधन से मुक्ति दिलाने के लिए मां गंगा की कड़ी तपस्या की. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा ने धरती पर आना स्वीकार तो किया लेकिन समस्या ये थी कि अगर सीधे मां गंगा धरती पर आती तो उनके प्रचंड वेग से धरती को हानि पहुंचती. इसीलिए फिर भगवान शिव ने अपनी जटा में पहले गंगा को धारण किया और फिर शिव की जटा से एक निश्चित वेग से मां गंगा धरती पर आई थीं.
लॉकडाउन में कैसे पाएं गंगा दशहरा का फल?
गंगा दशहरा के दिन गंगा सन्ना के साथ-साथ दान-पुण्य का भी काफी महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन सच्चे दिल से मां गंगा का स्मरण कर दान-दक्षिणा करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. हालांकि इस साल कोरोना संकच की वजह से श्रद्धालु गंगा स्नान नहीं कर पाएंगे. ऐसे में घर पर रहकर ही गंगा दशहरा मनाया जा सकता है. दरअसल इस दिन अपने-अपने घरों पर ही गंगा पूजन और जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करने से भी गंगा स्नान का फल प्राप्त किया जा सकता है.
Source : News Nation Bureau