इस साल 20 जून यानि कि रविवार को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष के ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है. गंगा दशहरा पर भगवान शिव और विष्णु की पूजा की जाती है. इसके साथ ही मां गंगा का पूजन किया जाता है. गंगा दशहरा के दिन किए गए दान-पुण्य करने से उसका फल कई गुना बढ़ जाता है. इस खास दिन गंगा में स्नान करने के पश्चात दान करता है तो, उसके सभी तरह के पाप धूल जाते हैं और भक्तों को पुण्य की प्राप्ति होती है.
मान्यताओं के मुताबिक, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को राजा भागीरथ मां गंगा को धरती पर लाए थे. पुराणो के अनुसार, यह तिथि सनातन धर्मियों के लिए पापों से मुक्त होने की सबसे शुभ और अहम तिथि मानी जाती है.
और पढ़ें: Apara Ekadashi 2021: जानें अपरा एकादशी व्रत की तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
कैसे करें पूजन
पुराणों के मुताबिक, गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करें. अगर गंगा नदी नहीं है तो आप किसी भी नदी में स्नान कर सकते हैं. इसके बाद 'ओम नम: शिवाय' का जाप करें. भगवान सूर्य को जल अर्पित करें और हर-हर गंगे का उच्चारण करें. कोरोना के संक्रमण के खतरे को देखते हुए घर में नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें.
इन मंत्रों का करें जाप-
- "ऊँ नम: शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नम:।।"
- "ऊँ नमो भगवते ऐं ह्रीं श्रीं हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा।।"
मां गंगा के अवतरण की पौराणिक कथा
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, ऋषि भगीरथ ने अपने पूर्वजों को जन्म मरण (जीवन चक्र) के बंधन से मुक्ति दिलाने के लिए मां गंगा की कड़ी तपस्या की. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा ने धरती पर आना स्वीकार तो किया लेकिन समस्या ये थी कि अगर सीधे मां गंगा धरती पर आती तो उनके प्रचंड वेग से धरती को हानि पहुंचती. इसीलिए फिर भगवान शिव ने अपनी जटा में पहले गंगा को धारण किया और फिर शिव की जटा से एक निश्चित वेग से मां गंगा धरती पर आई थीं.
कहा जाता है कि ज्येष्ठ मास की दशमी को ही गंगा धरती पर आई थीं, इसके बाद से इस दिन गंगा दशहरा मनाने की परंपरा शुरू हुई. वैसे गंगा दशहरा का पर्व 10 दिन पहले से ही शुरू होता है.