Garuda Puran in Hindi: मनुष्य की असली पहचान उसके कर्मों से होती है. कुछ लोग ऐसे होते हैं जो धन-दौलत होने के बावजूद महापाप करते हैं. शास्त्रों व गरुड़ पुराण में ऐसे लोगों को महापापी बताया गया है. इसमें ऐसे पांच महापापियों का उल्लेख किया गया है, जो अपने कार्यों से समाज में गिरते हैं. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं किस तरह के इंसान सबसे बड़े महापापी होते हैं.
1. भ्रूण हत्या करने वाला मनुष्य
भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि जो व्यक्ति गर्भ में पल रहे शिशु को मारता है, वह सबसे बड़ा महापापी होता है. इसका एक उदाहरण अश्वत्थामा है, जिसने उत्तरा के गर्भ में मौजूद अभिमन्यु के पुत्र को मारने का प्रयास किया था. गरुड़ पुराण कहता है कि ऐसे व्यक्तियों की आत्मा मृत्यु के बाद सीधे नरक जाती है, जहां उन्हें भयंकर यातनाएं सहनी पड़ती हैं.
2. पशु की हत्या करने वाला
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जो व्यक्ति अपने शौक के लिए किसी भी पशु या पक्षी की हत्या करता है, वह भी महापापी कहलाता है. ऐसे लोग मांस खाने के लिए निर्दोष जीवों को मार डालते हैं. गीता में भी श्री कृष्ण ने इस पाप को गंभीरता से लिया है. मृत्यु के बाद, ऐसे लोगों को नरक में जाना पड़ता है.
3. माता-पिता को मारने वाला मनुष्य
आजकल कई घटनाएं सामने आती हैं जहां लोग अपने माता-पिता को घर से निकाल देते हैं या पैसों के लिए उनकी हत्या कर देते हैं. गरुड़ पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति ऐसा करता है, उसे भगवान कभी माफ नहीं करते. ऐसे महापापियों को भी मृत्यु के बाद नरक में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
4. मंदिर में चोरी करने वाला मनुष्य
गरुड़ पुराण के अनुसार, मंदिर में चोरी करना एक बड़ा पाप है. जो लोग मंदिर के दान या संपत्ति को अपने निजी लाभ के लिए इस्तेमाल करते हैं, वे भी महापापी कहलाते हैं. ऐसे लोग अपनी करनी का फल मृत्यु के बाद नरक में भोगते हैं.
5. गाय की हत्या करने वाला मनुष्य
गाय को हिंदू धर्म में माता माना जाता है. गरुड़ पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति गाय की हत्या करता है, उसे नरक में भी स्थान नहीं मिलता. उसकी आत्मा कई वर्षों तक भटकती रहती है. गाय की हत्या को अपनी माता की हत्या के समान जघन्य पाप माना गया है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)