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Gautam Buddha Story: आपके विचार तय करते हैं आपकी नियति, गौतम बुद्ध की कहानी

Gautam Buddha Story: आपने ये कई बार लोगों को कहते हुआ सुना होगा कि जैसा सोचोगे, वैसा ही होगा. अगर आप ये सुनते हैं लेकिन अमल नहीं करते तो आपक महात्मा बुद्ध की ये कहानी पढ़ने के बाद आज से ही अच्छा सोचना शुरू कर देंगे.

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Inna Khosla
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Gautam Buddha Story

Gautam Buddha Story( Photo Credit : News Nation)

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Gautam Buddha Story: महात्मा बुद्ध के अनुसार हम वही बनते हैं जो हम सोचते हैं. अगर हम अपने विचारों को शुद्ध रखें तो हमें खुशी मिलती है. बुद्ध की एक कहानी में एक युवक ने उनसे पूछा कि संसार में सामान्य व्यक्ति का क्या मूल्य है. बुद्ध ने उसे एक चमकीला पत्थर देकर बाजार में भेजा और कहा कि इसका मूल्य पता करो. इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमारी सोच और दृष्टिकोण हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं. अपने मन में जिस चीज़ का विचार करोगे वही चीज़ तुम्हें मिलना शुरू होगी. अगर पैसे के बारे में विचार करते हो तो आपके पास पैसा आना शुरू होगा. अगर आप अपने प्यार के बारे में विचार करोगे तो आपको आपका प्यार जल्द ही मिलेगा. गौतम बुद्ध के अनुसार हम वही बनते हैं जो हम सोचते हैं. 

जैसा सोचोगे, वैसा ही होगा 

एक बार की बात है, महात्मा बुद्ध प्रवचन दे रहे थे. प्रवचन में आसपास के बहुत से लोग शामिल थे और सभी लोग ध्यान से बुद्ध को सुन रहे थे. कुछ देर में प्रवचन समाप्त हो गया. तब लोगों ने बुद्ध को प्रणाम किया और अपने अपने घर को चल पड़े. पर, एक ये युवक वहां पर ही बैठा रह गया. बुद्ध की नजर उस युवक पर पड़ी तो वे पूछ बैठे क्या बात है, युवक बुद्ध के पास गया और प्रणाम करके बोला प्रभु बहुत उलझन में हूं, जितना इस बारे में सोचता हूं, उतना ही उलझ जाता हूं. युवक हाथ जोड़कर बोला, प्रभु यह संसार कितना विशाल है. संसार में लाखों करोड़ों लोग निवास करते हैं, उनमें भी एक से बढ़कर एक विद्वान कलाकार, योद्धा हैं. ऐसे में उन सबके बीच एक सामान्य प्राणी का क्या मूल्य है? युवक की बात सुनकर बुद्ध मुस्कुरा दिए. वे बोले तुम्हारी जिज्ञासा का उत्तर मिल जाएगा पर इसमें थोड़ा सा समय लगेगा. 

महात्मा बुद्ध ने फिर उससे पूछा क्या तब तक मेरा एक छोटा सा काम कर सकते हो? प्रभु, यह तो मेरे लिए गर्व का विषय है कि मैं आपके काम आ सकूं. युवक ने पुनः अपने हाथ जोड़ दिए और कहा आप आदेश करें. प्रभु बुद्ध ने युवक को एक चमकीला पत्थर देते हुए कहा तुम्हें इस पत्थर का मूल्य पता करना है पर ध्यान रहे इसे बेचना नहीं है. सिर्फ इसका मूल्य पता करना है जैसी आज्ञा प्रभु, ऐसा कहते हुए युवक ने बुद्ध से वह पत्थर ले लिया. उसने एक बार फिर से उन्हें प्रणाम किया और बाजार की ओर चल पड़ा. 

बाजार वहां से ज्यादा दूर नहीं था तो युवक थोड़ी देर में वहां पहुंच गया. वह सुबह का समय था इसलिए बाजार अभी ठीक से लगा नहीं था. वहां पर इक्का दुक्का दुकानदार ही थे. युवक की जिज्ञासा वश इधर उधर नजर गई. उसे एक दुकानदार नजर आया जो आम बेच रहा था. युवक उस दुकानदार के पास पहुंचा और उसे पत्थर दिखाते हुए बोला, क्या आप इस पत्थर की कीमत बता सकते हैं? दुकानदार एक चालाक व्यक्ति था. पत्थर की चमक देखकर वह समझ गया कि अवश्य ही यह कोई कीमती पत्थर है. 

वह बनावटी आवाज में बोला, देखने में तो कुछ खास नहीं लगता, पर इसके बदले 10 आम दे सकता हूं. दुकानदार की बात सुनकर युवक को हल्का सा क्रोध आ गया कि इतना सुंदर पत्थर और इसका मूल्य सिर्फ 10 आम, अवश्य ही यह झूठ बोल रहा है. युवक को चुप देखकर दुकानदार बोल उठा क्या कहते हो? निकालूं आम पर युवक ने दुकानदार को कोई जवाब नहीं दिया. वह चुपचाप आगे बढ़ गया. सामने एक सब्जी वाला अपनी दुकान सजा रहा था. युवक उसके पास पहुंचा और उसे पत्थर दिखाते हुए उसका मूल्य पूछा. उस पत्थर को देखकर सब्जी वाले की आंखें खुशी से चमक उठी. वह मन ही मन सोचने लगा, यह पत्थर तो बहुत कीमती जान पड़ता है, अगर यह मुझे मिल जाए तो मज़ा ही आ जाए. दुकानदार ने कहा वैसे मैं इस पत्थर के बदले एक बोरी आलू दे सकता हूं. सब्जी वाले के चेहरे की कुटिलता देखकर युवक समझ गया कि यह दुकानदार भी मुझे मूर्ख बना रहा है. मुझे किसी और से इसका मूल्य पता करना चाहिए, यह सोचता हुआ युवक आगे बढ़ गया. सब्जी वाले दुकानदार ने युवक को पीछे से आवाज लगाई. क्या हुआ भाई? अगर आपको यह मूल्य कम लग रहा है तो बताएं तो मैं इसे बढ़ा दूंगा. युवक ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया औक वह अब इधर उधर किसी ऐसे व्यक्ति को खोजने लगा जो जानकार हो और उस पत्थर की सही मूल्य बता सके. 

युवक को लग रहा था कि अवश्य ही यह कोई कीमती पत्थर है. शायद कोई जोहरी इसका सही मूल्य बता सके. यही सोचते हुए युवक एक जोहरी की दुकान पर पहुंचा. जोहरी अपनी दुकान को अभी खोल ही रहा था. उसने दूर से युवक को अपनी दुकान की ओर आते हुए देख लिया था. साथ ही उसने युवक का हुलिया देखकर यह भी भांप लिया था कि यह कोई गरीब व्यक्ति है. जो संभवत कोई गहना बेचने आया होगा. जोहरी ने हाथ जोड़कर युवक को नमस्कार किया और मुस्कुरा कर पूछा बताएं महोदय में आपकी क्या सेवा कर सकता हूं? युवक ने बुद्ध का दिया पत्थर अपनी हथेली पर रख दिया और बोला इसका मूल्य पता करना था. 

पत्थर को देखते ही जोहरी उसे पहचान गया कि यह बेशकीमती रूबी पत्थर है, जो किस्मत वाले को मिलता है. वह बोला पत्थर मुझे दे दो और मुझसे ₹1,00,000 ले लो. कहते हुए जोहरी ने पत्थर लेने के लिए अपना दाहिना हाथ बढ़ाया पर तब तक युवक ने पत्थर को अपनी मुट्ठी में बंद कर लिया था. उसे पत्थर के मूल्य का अंदाजा हो गया था. इसलिए वह बुद्ध के पास जाने के लिए मुड़ गया. जौहरी ने उसे पीछे से आवाज लगाई, अरे रुको तो भाई मैं इसके 50,00,000 दे सकता हूं? लेकिन युवक को वह पत्थर बेचना तो था नहीं, इसलिए वह रुका नहीं और दुकान के बाहर आ गया. 

जोहरी भी कम चालाक नहीं था वह उस अनमोल पत्थर को किसी भी कीमत पर अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था. वह दौड़कर उसके आगे आ गया और हाथ जोड़कर बोला तुम यह पत्थर मुझे दे दो में इसके बदले 1,00,00,000 देने को तैयार हूं. युवक को जोहरी की बातों में अब कोई रूचि नहीं रह गई थी. वह जल्द से जल्द बुद्ध के पास पहुंच जाना चाहता था. इसलिए ना तो वह रुका और ना ही उसने जौहरी की बात का कोई जवाब दिया. वह तेज तेज कदमों से बुद्ध के आश्रम की ओर चल पड़ा. जौहरी ने पीछे से आवाज लगाई यह अत्यंत मूल्यवान पत्थर है अनमोल है तुम जीतने पैसे कहोगे मैं दे दूंगा. यह सुनकर वह युवक परेशान हो गया. उसे लगा कि कहीं पत्थर के लालच में जोहरी उसे पकड़ कर जबरदस्ती ना करने लगे, इसलिए वह तेजी से आश्रम की ओर दौड़ पड़ा. 

युवक जब बुद्ध के पास पहुंचा तो वह बुरी तरह से हाफ रहा था. उसे देखकर बुद्ध मुस्कुरा दिए फिर भी उन्होंने अपने चेहरे से कुछ भी ज़ाहिर नहीं होने दिया. वे बोले क्या बात है वत्स, तुम कुछ डरे हुए से लग रहे हो? युवक ने बुद्ध को प्रणाम किया और सारी बात कह सुनाई और उसने वह पत्थर भी उन्हें वापस कर दिया. बुद्ध बोले आम वाले ने इसका मूल्य 10 आम बताया. आलू वाले ने एक बोरी आलू और जोहरी ने बताया कि यह अनमोल है. इस पत्थर के गुण जिसने जीतने समझे उसने इसका मूल्य उसी हिसाब से लगाया. ऐसे ही यह जीवन है, प्रत्येक व्यक्ति खान से निकले हुए एक हीरे के समान है जिसे अभी तराशा नहीं गया है. जैसे-जैसे समय की धार व्यक्ति को तराशती है व्यक्ति की कीमत बढ़ती जाती है. यह दुनिया व्यक्ति को जितना पहचान पाती है उसे उतनी ही महत्ता देती है. 

ये कहते हुए बुद्ध एक क्षण के लिए रुके, फिर बोले, किन्तु आदमी और हीरे में अंतर यह है हीरे को कोई दूसरा तराशता है और व्यक्ति को अपने आप को स्वयं ही तराशना पड़ता है. जिस दिन तुम अपने आप को तराश लोगे तुम्हें भी तुम्हारा मूल्य बताने वाला कोई ना कोई जोहरी मिल ही जाएगा. गौतम बुद्ध उस लड़के को यह सिख देना चाहते थे कि जो इंसान अपने मन में खुद के बारे में विचार करता है, वह व्यक्ति उसी के समान बनता जाता है. किसी इंसान को अगर दुनिया की किसी भी चीज़ से सच्चे मन से लगाव हो तो वह इंसान उस चीज़ को प्राप्त कर लेता है. वही जो इंसान अपनी मनचाही चीज़ को प्राप्त करने में असर्थ है उस इंसान ने अपने मन में सच्चे भाव से उस चीज़ को चाह नहीं होता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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