Gayatri Japam: आज गायत्री जापम दिवस से है. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना क्षेत्रों में, गायत्री जापम दिवस को गायत्री प्रतिपदा या गायत्री पाद्यमी के रूप में जाना जाता है. वेदों का अध्ययन करने वाले युवा विद्यार्थी उपाकर्म अनुष्ठान के बाद ही वेदाध्ययन शुरू करते हैं. श्रावण पूर्णिमा के पावन अवसर पर वैदिक मंत्रों का जाप करते हुए उपनयन सूत्र धारण किया जाता है, जिसे जनेऊ, यज्ञोपवीत या जन्ध्यम के नाम से भी जाना जाता है. उपाकर्म अनुष्ठान के अगले दिन, प्रातःकाल यज्ञोपवीत धारण करने वाला व्यक्ति संभवतः गायत्री मंत्र का जाप करता है. आमतौर पर 108 या 1008 बार गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है, जिसे गायत्री जापम के रूप में जाना जाता है.
दक्षिण भारतीय ब्राह्मणों के बीच गायत्री जापम एक अत्यधिक लोकप्रिय पर्व है. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना क्षेत्रों में, गायत्री जापम दिवस को गायत्री प्रतिपदा या गायत्री पाद्यमी के रूप में जाना जाता है.
गायत्री मंत्र क्या है?
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्.
अर्थ हे सविता देव! आपकी उस तेजस्वी ज्योति को हम ध्यान में रखते हैं, जो सबको प्रकाशित करती है. वह हमारे बुद्धि को प्रेरित करे.
गायत्री मंत्र जाप करने की विधि
जाप करने से पहले शरीर और मन को शुद्ध करना आवश्यक है. पूर्व दिशा की ओर मुंह करें और पद्मासन या सिद्धासन में बैठें. अब आप रुद्राक्ष की माला हाथ में लें और 108 बार इस मंत्र का जाप करें. अगर इस जाप को करने के सही समय की बात करें तो सुबह सूर्योदय के समय और शाम को सूर्यास्त के समय इसका जाप करना उत्तम होता है. ध्यान रखें कि जाप करते समय मन में किसी भी प्रकार का विकार नहीं होना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)