शनिदेव जितने कठोर भगवान के तौर पर देखें जाते हैं उतने ही दयालु भी हैं. वो अपने सच्चे भक्त की सारी मन्नतें पूरी करते है और उन्हें जीवन के हर कष्ट से दूर रखते हैं. हिन्दू मान्यता है कि शनि की अगर शुभ दृष्टि हो तो रंक भी राजा बन जाता है. देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध, विद्याधर और नाग ये सब इसकी अशुभ दृष्टि पड़ने पर नष्ट हो जाते हैं. कहते हैं कि शनि जिस अवस्था में होगा, उसके अनुरूप फल प्रदान करेगा इसिलिए भक्त शनि के दर जाकर उन्हे प्रसन्न करने की तमाम कोशिशें करते है.
आप भी हर शनिवार भगवान शनिदेव को आरती कर के उन्हें प्रसन्न कर के अपनी भक्ति का फल पा सकते हैं. बस ध्यान रहे पूजा चाहे जितनी साधारण तरीके से करें लेकिन सच्चे मन से करें, शनि देव महाराज आपकी प्रार्थना जरूर सुनेंगे.
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भगवान शनिदेव की आरती-
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
Source : News Nation Bureau