Govatsa Dwadashi 2023: हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी के दिन को गोवत्स द्वादशी के रूप में मनाया जाता है. इसे नंदिनी व्रत भी कहते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार एक दिव्य गाय थी जिसका नाम नंदिनी था और उसकी के नाम पर इस दिन के व्रत का नाम पड़ा है. ये व्रत हर साल धनतेरस से एक दिन पहले आता है. दिवाली महापर्व की शुरुआत धनतेरस से की जाती है जो भाई दूज तक मनाया जाता है. उससे पहले गौ माता का आशीर्वाद लेने वाले को 84 लाख देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है. जो भी दिवाली पूजा से पहले द्वादशी के दिन गऊ सेवा करता है, उस पर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है. तो आइए जानते हैं इस साल गोवत्स द्वादशी कब है
गोवत्स द्वादशी कब है ?
द्वादशी तिथि: 09 नवंबर 2023 प्रातः 10:40 बजे से आरंभ होगी.
द्वादशी तिथि: 10 नवंबर 2023 दोपहर 12:35 बजे पर समाप्त होगी.
क्यों मनायी जाती है गोवत्स द्वादशी
पौराणिक कथा के अनुसार गोवत्स द्वादशी का दिन भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है. मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद माता यशोदा ने इसी दिन गाय की पूजा की थी तब से गाय के साथ बछड़े की पूजा करने की परंपरा शुरु हुई.
मान्यता है कि जिन लोगों को संतान सुख नहीं मिल रहा उन्हें इस दिन गौ माता की सेवा करनी चाहिए. गोवस्त द्वादशी के दिन विधि विधान से गाय और बछड़े की पूजा करने से इन्हें एक साथ 84 लाख देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है जिनकी कृपा से इनकी गोद जल्द भर जाती है.
मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ करने से भगवान कृष्ण बेहद प्रसन्न होते हैं और संतान की हर संकट से रक्षा करते हैं। यही नहीं निसंतान को संतान सुख का भी आशीर्वाद मिलता है। मान्यता है कि गाय में 84 लाख देवी-देवताओं का वास होता है और जो लोग गोवत्स द्वादशी पर गायों की पूजा करते हैं उन्हें सभी 84 लाख देवी-देवताओं से मनचाह वरदान मिलता है.
इस दिन जो भी व्यक्ति व्रत रखकर गाय-बछड़े की पूजा करता है उसके जीवन में खुशहाली बनी रहती है. धर्म शास्त्रों की मान्यता के अनुसार जो लोग गोवत्स द्वादशी के दिन गाय-बछड़े की पूजा करते हैं उन्हें गौ के शरीर के रोंयों के बराबर सालों तक गौलोक में वास करने का सौभाग्य मिलता है और श्रीकृष्ण की कृपा से निसंतान को संतान सुख और तरक्की का आशीर्वाद भी मिलता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)