Govatsa Dwadashi 2024: हिंदू धर्म में गोवत्स द्वादशी तो वसु बारस भी कहा जाता है जो हर साल धनतेरस से एक दिन पहले मनायी जाती है. आज के दिन गोमाता और बछड़ों की पूजा करने से कहते हैं कि संतान सुख मिलता है, बच्चों की आयु दीर्घ होती है और घर में सुख समृद्धि आती है. दीवाली वीक की शुरुआत भी इसी दिन से मानी जाती है. वैदिक पंचांग के अनुसार, गोवत्स द्वादशी हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को मनायी जाती है. आज 28 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 50 मिनट से द्वादशी तिथि प्रारंभ हो चुकी है जो कल 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगी. ऐसे में लोगों को इस बात का कंफ्यूजन है कि पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है, आपको बता दें कि क्योंकि इसकी पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है इसलिए उदयातिथि की जगह प्रदोषकाल के समय को महत्व दिया जाएगा.
आज प्रदोषकाल गोवत्स द्वादशी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 39 मिनट से रात 8 बजकर 13 मिनट का है.
गोवत्स द्वादशी का धार्मिक महत्व
पुराणों में गोवत्स द्वादशी के महत्व से जुड़ी एक कथा प्रचलित है. एक बार एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे. उनके कोई संतान नहीं थी, जिससे वह दोनों ही अत्यंत दुखी थे. एक दिन ब्राह्मणी ने माता पार्वती का अनुष्ठान किया और मां से पुत्र प्राप्ति का वरदान मांगा. मां पार्वती ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया और कहा, तुम्हे एक पुत्र होगा, लेकिन उसे सावधानी से रखना होगा. वह सात वर्ष की आयु तक ही जीवित रहेगा.
ब्राह्मण और उसकी पत्नी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और वह बहुत प्रसन्न हुए. लेकिन सातवें वर्ष के करीब आते ही ब्राह्मणी को चिंता सताने लगी कि उसके पुत्र की आयु समाप्त हो रही है. वह अत्यंत दुखी होकर भगवान विष्णु के पास गईं और उनसे अपने पुत्र की रक्षा करने की प्रार्थना की.
भगवान विष्णु ने उसे गोवत्स द्वादशी का व्रत करने का उपदेश दिया और कहा कि इस व्रत को करने से तुम्हारा पुत्र दीर्घायु होगा. ब्राह्मणी ने भगवान विष्णु के आदेश का पालन करते हुए गोवत्स द्वादशी का व्रत किया और पूरे विधि-विधान से गोमाता और बछड़े की पूजा की.
व्रत का प्रभाव ऐसा हुआ कि उसका पुत्र न केवल सात वर्ष की आयु पार कर गया बल्कि दीर्घायु और स्वस्थ भी हो गया. तभी से गोवत्स द्वादशी का यह व्रत संतान की लंबी उम्र और परिवार की समृद्धि के लिए किया जाने लगा.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)