Goverdhan Puja 2021: दिवाली (Diwali 2021) के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजा का पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. गोवर्धन पूजा को देश के कुछ हिस्सों में अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है. इस पावन दिन भगवान श्री कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा- अर्चना की जाती है. गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्री कृष्ण को 56 या 108 तरह के पकवानों का भोग भी लगाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण ने गोकुल वासियों को गोवर्धन पूजा के लिए प्रेरित किया था. इस पर्व पर गौ माता की पूजा (Worship of Cow) का भी विशेष महत्व है. आइये जानते हैं गोवर्धन पूजा विधि (Govardhan puja vidhi), मुहूर्त (Govardhan Puja Muhurt) और कथा (Govardhan Puja Katha).
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गोवर्धन पूजा मुहूर्त
गोवर्धन पूजा का प्रातःकाल का मुहूर्त 06:36 AM से 08:47 AM तक है. यानी कि कुल अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट है. वहीं, सायंकाल मुहूर्त 03:22 PM से लेकर 05:33 PM तक है. यानी कि कुल अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट है. इसके अलावा, प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 05, 2021 को 02:44 AM बजे से प्रतिपदा तिथि समाप्त – नवम्बर 05, 2021 को 11:14 PM बजे तक.
गोवर्धन पूजा विधि
लोग अपने घर में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर उसे फूलों से सजाते हैं. गोवर्धन पर्वत के पास ग्वाल-बाल और पेड़ पौधों की आकृति भी मनाई जाती है. इसके बीच में भगवान कृष्ण की मूर्ति रखी जाती है. इसके बाद षोडशोपचार विधि से पूजन किया जाता है. गोवर्धन पूजा सुबह या फिर शाम के समय की जाती है. पूजन के समय गोवर्धन पर धूप, दीप, जल, फल, नैवेद्य चढ़ाएं जाते हैं. तरह-तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है. इसके बाद गोवर्धन पूजा की व्रत कथा सुनी जाती है और प्रसाद सभी में वितरित करना होता है. इस दिन गाय-बैल और खेती के काम में आने वाले पशुओं की पूजा होती है. पूजा के बाद गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं लगाते हुए उनकी जय बोली जाती है. परिक्रमा हाथ में लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए की जाती है.
गोवर्धन पूजा का महत्व
मान्यता है जो गोवर्धन पूजा करने से धन, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है. गोवर्धन पूजा प्रकृति और भगवान श्री कृष्ण को समर्पित पर्व है. इस दिन कई मंदिरों में धार्मिक आयोजन और अन्नकूट यानी भंडारे होते हैं. पूजन के बाद लोगों में प्रसाद बांटा जाता है. इस दिन आर्थिक संपन्नता के लिए गाय को स्नान कराकर उसका तिलक करें. गाय को हरा चारा और मिठाई खिलाएं. फिर गाय की 7 बार परिक्रमा करें. इसके बाद गाय के खुर की पास की मिट्टी एक कांच की शीशी में लेकर उसे अपने पास रख लें. मान्यता है ऐसा करने से धन-धान्य की कभी कमी नहीं होगी.
कैसे हुई गोवर्धन पूजा की शुरुआत?
हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार जब इंद्र ने अपना मान जताने के लिए ब्रज में तेज बारीश की थी तब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर ब्रज वासियों की मूसलाधार बारिश से रक्षा की थी। जब इंद्रदेव को इस बात का ज्ञात हुआ कि भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं तो उनका अहंकार टूट गया. इंद्र ने भगवान श्री कृष्ण से क्षमा मांगी. गोवर्धन पर्वत के नीचे सभी गोप-गोपियाँ, ग्वाल-बाल, पशु-पक्षी सुख पूर्वक और बारिश से बचकर रहे. कहा जाता है तभी से गोवर्धन पूजा मनाने की शुरुआत हुई.