Famous Temple in Gujarat: अहमदाबाद से 110 किमी दूर मेहसाणा जिले में बहुचरा मंदिर है. इस मंदिर में बहुचर्वा माता है जो मुर्गे पर विराजमान हैं. बहुचर्वा का अर्थ होता है दो फनों वाली नागिन. माता के मंदिर के आसपास घूमते हुए कई मुर्गे देखे जा सकते हैं. इन मुर्गों को मारने का साहस कोई गलती से भी नहीं करता. इन मुर्गों से संबंधित मध्यकालीन इस्लामी बादशाह अल्लाउद्दीन द्वितीय से जुड़ी एक लोकप्रिय चमत्कारी कहानी भी है. कहते हैं जब मध्यकालीन इस्लामी बादशाह अल्लाउद्दीन द्वितीय ने पाटण की जीत के बाद बहुचरा माता के प्रसिद्ध मंदिर को तोड़ने के बारे में सोचा तब उसे साथ जो हुआ उसे देखकर सब हैरान रह गए. तब से माता का साक्षात चमत्कार यहां देखने मिलता है.
बादशाह अल्लाउद्दीन द्वितीय और बहुचरा माता की कहानी
पाटण की जीत के बाद जब बादशाह अल्लाउद्दीन द्वितीय ने ये आदेश दिया कि बहुचरा माता के प्रसिद्ध मंदिर तोड़ दिया जाए. तो सेना ने मंदिर कि ओर प्रस्थान किया. जब धर्मांध मुस्लिम सेना माता का मंदिर तोड़ने पहुंची, तो उन्होंने देखा कि वहां बहुत से मुर्गे घूम रहे थे. मुसलमान सैनिकों ने उन मुर्गों को पकड़कर खा लिया. लेकिन एक मुर्गा बच गया और भाग गया. सभी कट्टरपंथी रात में पेट पूजा करने के बाद सो गए क्योंकि उन्होंने दिन में मंदिर को तोड़ने की योजना बनायी थी.
लेकिन सुबह होते ही बचे हुए एक मुर्गे ने बांग देना शुरू कर दिया. बाद में सैनिकों के पेट में बैठे मुर्गे भी बांग देने लगे और अपने पेट को फाड़-फाड़ कर बाहर निकलने लगे. मुस्लिम सैनिक इसे देखकर भयभीत हो गए. अल्लाउद्दीन खुद हैरान हो गया और वहां से भाग गया. उसके सभी सैनिक भी भाग निकले. माता का यह मंदिर आज भी उसी शान से खड़ा है.
बहुचरा माता के दर्शन से मिलता है संतान सुख
संतान सुख देने वाली माता बहुचरा के बारे में एक प्रसिद्ध कहानी है. गुजरात के एक अविवाहित राजा ने बहुचरा माता की पूजा की ताकि उसे बच्चे मिले. इसके बाद, प्रसन्न होकर मां ने उन्हें एक पुत्र देने का आशीर्वाद दिया. राजा को पुत्र हुआ, लेकिन वह नपुंसक निकला.
इससे राजा बहुत निराश हुआ. लेकिन उसके बाद एक दिन बहुचरा माता उसके सपने में आईं और राजकुमार को मुक्ति के रास्ते पर चलने के लिए गुप्तांग देने के लिए कहा. ऐसा करके राजकुमार देवता का उपासक बन गया. माता की कृपा से उसके पिता को बाद में एक और पुत्र हुआ, जिससे उनका वंश बढ़ गया. तब से हर आदमी ने बहुचरा माता को अपनी कुलदेवी मानकर उसे पूजा करना शुरू कर दिया.
मन्यताओं के अनुसार, संतान प्राप्ति के लिए मां बहुचरा की पूजा की जाती है. निस्संतान लोग माता का आशीर्वाद पाते हैं. यहां बच्चों के मुंडन के केश और माता की सवारी कुक्कुट या मुर्गे छोड़े जाते हैं.
तो आप भी अगर चाहें तो गुजरात में माता के दर्शन करने जा सकते हैं. यहां मंदिर के प्रांगण में आपको हमेशा बहुत सारे मुर्गे नज़र आएंगे और लोग अपनी मुराद जब मांगने आते हैं या उनकी मनोकामना जब सिद्ध हो जाती है तो वो यहां पर मुर्गे भी छोड़कर जाते हैं.
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Source : News Nation Bureau