आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) कहते हैं. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, इस बार गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई को है. मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन महाभारत और चार वेदों के रचयिता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास यानि महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. इसी वजह से गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं.
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क्या है गुरु पूर्णिमा का महत्व?
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा का विधान है. कहते हैं कि गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती है. इसीलिए इन्हें भगवान से भी ऊपर का दर्जा दिया जाता है. गुरुकुल में रहने वाले विद्यार्थी इस दिन अपने गुरु की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. हमारे देश में गुरू के महत्व को बताते हुए उसे साक्षात् ब्रह्मा का रूप माना जाता है. गुरूब्रह्मा, गुरूर्विष्णु गुरूर्देवो महेश्वरः। गुरूर्साक्षात् परमब्रह्रा तस्मै श्री गुरूवेः नमः।। गुरु को ब्रह्म कहा गया है, क्योंकि जिस प्रकार से वह जीव का सर्जन करते हैं, ठीक उसी प्रकार से गुरु शिष्य का सर्जन करते हैं.
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गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. फिर घर के मंदिर में चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाएं. इसके बाद 'गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये' मंत्र का उच्चारण करें.