हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है. दरअसल हिंदू धर्म में गुरुओं सबसे ऊपर का दर्जा दिया गया ऐसा इसलिए क्योंकि वो गुरु ही होता है जो हमें सही गलत के बीच फर्क समझाते हैं. वो गुरु ही होते हैं जो हमें इस लायक बनाते हैं कि ओरों के साथ कंधे से कंधे मिलाकर आगे बढ़ सकें और एक अच्छी जिंदगी जी सकें.
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) कहते हैं. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, इस बार गुरु पूर्णिमा 05 जुलाई को है. इस बार गुरु पूर्णिमा कई मायनों में खास है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार गुरु पूर्णिमा मंगलवार के दिन पड़ रही है और दूसरा सबसे बड़ा कारण ये है कि इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है तो लगभग तीन घंटे तक चलेगा.
क्या है गुरु पूर्णिमा का महत्व?
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा का विधान है. कहते हैं कि गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती है. इसीलिए इन्हें भगवान से भी ऊपर का दर्जा दिया जाता है. गुरुकुल में रहने वाले विद्यार्थी इस दिन अपने गुरु की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. हमारे देश में गुरू के महत्व को बताते हुए उसे साक्षात् ब्रह्मा का रूप माना जाता है. गुरूब्रह्मा, गुरूर्विष्णु गुरूर्देवो महेश्वरः। गुरूर्साक्षात् परमब्रह्रा तस्मै श्री गुरूवेः नमः।। गुरु को ब्रह्म कहा गया है, क्योंकि जिस प्रकार से वह जीव का सर्जन करते हैं, ठीक उसी प्रकार से गुरु शिष्य का सर्जन करते हैं.
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. फिर घर के मंदिर में चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाएं. इसके बाद 'गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये' मंत्र का उच्चारण करें
Source : News Nation Bureau