400वें प्रकाश पर्व के अवसर पर भक्तों ने दी श्रद्धांजलि, जानें गुरु तेगबहादुर के बारे में

देश में कोरोनावायरस की दूसरी लहर के बीच शनिवार को हजारों की तादात में भक्तों ने गुरु तेग बहादुर साहिब के 400वें प्रकाश के अवसर पर गुरुद्वारे में जाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.

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Vineeta Mandal
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Guru Tegh Bahadur( Photo Credit : फाइल फोटो)

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देश में कोरोनावायरस की दूसरी लहर के बीच शनिवार को हजारों की तादात में भक्तों ने गुरु तेग बहादुर साहिब के 400वें प्रकाश के अवसर पर गुरुद्वारे में जाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दिन स्वर्ण मंदिर के नाम से मशहूर सिख धर्मावलंबियों के पावन तीर्थ स्थल श्री हरिमन्दिर साहिब गुरुद्वारे में सभी धार्मिक रीति—रिवाज का निष्ठा के साथ पालन किया जा रहा है. यहां आज के दिन सुबह से भक्तों का आना—जाना लगा है. यहां मत्था टेकने के लिए आने वाले लोग परिसर में भजन—कीर्तन भी सुन रहे हैं. इस विशेष अवसर पर स्वर्ण मंदिर परिसर को रोशनी से जगमगाया गया है.

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इस अवसर पर लोगों का अभिवादन किया और उनसे आग्रह किया कि वे टेलीविजन पर कार्यक्रम देखें और अपने घरों से 'सरबत दा भला' के लिए 'अरदास' की पेशकश करें और महामारी को देखते हुए धार्मिक स्थलों पर एकत्र होने से बचें.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर राष्ट्रीय राजधानी में स्थित गुरुद्वारा शीश गंज साहिब पहुंच गए. वहां उन्होंने मत्था टेका और प्रार्थना की.  पीएम ने ट्वीट करते हुए लिखा, "श्री गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व के विशेष अवसर पर मैं उन्हें नमन करता हूं. पिछड़ों की सेवा करने के प्रयासों और अपने साहस के लिए दुनिया भर में उनका सम्मान है. उन्होंने अन्याय और अत्याचार के खिलाफ झुकने से इंकार कर दिया था. उनका सर्वोच्च बलिदान कई लोगों को शक्ति और प्रेरणा देता है."

गुरु तेगबहादुर के बारे में-

 श्री गुरु तेगबहादुर का जन्म वैशाख पंचमी संवत 1678 में अमृतसर के हरगोबिंद साहिब जी के घर हुआ था. गुरु तेगबहादुर ने देश हित में अपना शीश तक कटा दिया और समाज के हित के लिए भी उन्होंने कई कार्य किए.औरंगजेब और गुरु तेगबहादुर में कुछ धार्मिक विषयों पर चर्चा की. किसी बात पर सहमति ना होने पर औरंगजेब को क्रोध आ गया और उसने गुरु तेगबहादुर और उनके शिष्यों को मृत्युदंड सुनाया. एक शिष्य मतिदास को आरा मशीन से कटवा दिया गया. इसके बाद औरंगजेब ने उनके दूसरे शिष्य दयालदास को खौलते हुए पानी के कड़ाहे में डलवाकर यातना दी. सतीदास को आग में जला दिया गया. इसपर भी गुरु तेगबहादुर ने औरंगजेब के सामने अपने शिष्यों की देशभक्ति की तारीफ की . इस पर औरंगजेब बौखला उठा. औरंगजेब ने गुरु तेगबहादुर का सिर कलम करने का आदेश दिया.  गुरु तेगबहादुर की याद में ही दिल्ली में शीशगंज गुरुद्वारे  का निर्माण करवाया गया है. अपने जीवन काल में गुरु तेगबहादुर ने कई साखियां भी लिखीं और कई उपदेश भी दिए. 

गुरुतेग बहादुर के  अनमोल विचार

1. दिलेरी डर की गैरमौजूदगी नहीं, बल्कि यह फैसला है कि डर से भी जरूरी कुछ है

2. साहस ऐसी जगह पाया जाता है जहां उसकी संभावना कम हो

3. हार और जीत यह आपकी सोच पर ही निर्भर है, मान लो तो हार है ठान लो तो जीत है

4. गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो

5. जीवन किसी के साहस के अनुपात में सिमटता या विस्तृत होता है

6. एक सज्जन व्यक्ति वह है जो अनजाने में किसी की भावनाओ को ठेस ना पहुंचाएं

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