Guru Upay 2023: ज्योतिष शास्त्र में गुरु का प्रभाव किसी भी जातक की कुंडली में 16 साल तक रहता है. गुरु बृहस्पति के शुभ स्थिति में होने से हर क्षेत्र में शुभ फल की प्राप्ति होती है. व्यक्ति को शिक्षा के क्षेत्र में तरक्की मिलता है. धन वृद्धि भी होती है. वहीं अगर कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति कमजोर है, तो व्यक्ति को हर समय परेशानियों का सामना करता रहता है, उसे मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में जिन जातकों की कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति कमजोर है, इसके उपाय के बारे में विस्तार से बताएंगे.
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कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति कमजोर है, तो करें ये उपाय
1.बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है. गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए इस दिन व्रत रखें. पीली मिठाई का भोग लगाएं. इस दिन हल्दी और बेसन से बनीं चीजों का सेवन करना चाहिए.
2.बृहस्पति देव की विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए.
3.जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर है, उसे पुखराज धारण करना चाहिए.
4.इस दिन पानी में हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए. इससे गुरु का अशुब प्रभाव कम होता है.
5.इस दिन केले के पौधे की पूजा करें. साथ ही हल्दी, गुड़ और चने की दाल भगवान विष्णु को अर्पित करना चाहिए,इससे आपको सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाएगी.
6.इस दिन गरीबों को चने की दाल, केले और पीले मिठाई का दान जरूर करना चाहिए.
7.गुरु के इन मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए
1. ऊँ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।
यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणधेहि चित्रम्।।
2. गुरु का तांत्रिक मंत्र- ऊँ बृं बृहस्पतये नमः
3. गुरु का बीज मंत्रः-ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।
भगवान विष्णु की करें आरती
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ओम जय जगदीश हरे...॥