Guruvar Vrat: हिन्दू धर्म में हर दिन पूजा के लिए बना हुआ है. हर दिन ज्योतिष संबंधी कारणों, उनके जन्म, दिवस विशेष आदि के कारण तय किए गए है. गुरुवार के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा की जाती है. गुरुवार को व्रत भी रखा जाता है. इस दिन को गुरु को भी समर्पित किया जाता है. ऐसे में देव बृहस्पति की भी पूजा की जाती है. कुंडली (Kundali) में गुरु दोष (Guru Dosh) होने पर बृहस्पति की स्थिति कमजोर होती है. इस दौरान गुरुवार को व्रत रखने का सुझाव दिया जाता है. आज गुरुवार के दिन आपको इस दिन के व्रत महत्व के बारे में बताने की कोशिश करते हैं.
गुरुवार व्रत के लाभ
1. बृहस्पतिदेव को ज्ञान और बुद्धि का कारक माना जाता है. सही निर्णय क्षमता, ज्ञान और बुद्धि के साथ गुरु दोष से मुक्ति को लेकर गुरुवार का व्रत रखा जाता है. देव गुरु बृहस्पति की विधिपूर्वक पूजा की जाती है.
2. ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, लगातार सात दिनों तक गुरुवार का व्रत रखने और गुरु की पूजा करने से कुंडली में गुरु ग्रह से जुड़ी सभी तरह की समस्याओं से राहत मिलती है.
3. विवाह में जिन लोगों को किसी भी तरह का विलंब है, उनको गुरुवार को व्रत करने को कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और केले के पौधे की पूजा की जाती है.
4. गुरुवार का व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है,साथ ही माता लक्ष्मी भी उस भक्त पर प्रसन्न रहती हैं. उसके जीवन से धन की सभी समस्या खत्म हो जाती है.
5. गुरुवार को व्रत जीवन में सुख, समृद्धि, शांति, पाप से मुक्ति, पुण्य लाभ पाने के लिए रखा जाता है.
गुरुवार का व्रत इस दिन रख सकते हैं
पंचांग के अनुसार किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से रखा जा सकता है, लेकिन पौष माह से व्रत का प्रारंभ नहीं होना चाहिए. यदि व्रत शुरू करने के दिन अनुराधा नक्षत्र का योग हो तो वह उत्तम होता है.
गुरुवार के कितने व्रत रखते हैं
जिस प्रकार 16 सोमवार व्रत का महत्वपूर्ण है, उसी प्रकार से 16 गुरुवार व्रत रखने का भी विधान है. उसके अगले गुरुवार को व्रत का उद्ययापन कर दिया जाता है.
Source : News Nation Bureau