हनुमान जी को कई देवी-देवताओं ने वरदान स्वरूप उन्हें शक्तियां दी हैं. अकेले देवी सीता ने उन्हें अष्ठ सिद्धियां दी हैं. इंद्र और सूर्य जैसे देवों ने भी उन्हें प्रसन्न हो कर कई शक्तियों का वरदान दिया है. ब्रह्मदेव ने हनुमान जी को तीन वरदान दिए थे, जिनमें एक वरदान ऐसा भी था, जिसमें ब्रह्मास्त्र का असर भी उन पर नहीं होना शामिल है. हनुमान जी के पास ऐसी चमत्कारिक शक्तियां हैं कि वे मच्छर से छोटा और हिमालय से भी बड़ा रूप धारण कर सकते हैं. उनकी शक्तियों में रहस्य छुपे हुए हैं और यही कारण है कि हनुमान जी को रहस्यमयी भी माना गया है. ऐसे ही हनुमान जी से जुड़े कुछ गूंण रहस्य हैं जो आज भी इतिहास के गर्भ में छिपे हुए हैं. तो चलिए जानते हैं उन सभी के बारे में.
1. हनुमान जी के पसीने का रहस्य: हनुमान जी के पसीने का रहस्य बहुत ही आश्चर्यजनक है. उनके पसीने से उनका एक पुत्र हुआ था. दरअसल हनुमान जी पूरी लंका को भस्म कर समुद्र में अपनी पूंछ की आग बुझाने और अपने शरीर के ताप को कम करने के लिए विश्राम कर रहे थे तब उनके शरीर से टपका पसीना एक मादा मगरमच्छ ने निगल लिया. उनके पसीने की शक्ति से उनका एक पुत्र हुआ मकरध्वज.
2. हनुमान जी के 108 नाम: हनुमान जी के 108 नाम है. संस्कृत में हर एक नाम का मतबल उनके जीवन के अध्यायों का सार बताता है. यही कारण है कि उनके नाम का जाप करने भर से हनुमत कृपा मिलती है.
3. भगवान राम से पहले जन्मे थे हनुमान जी: हनुमान जी का जन्म कर्नाटक के कोपल जिले में स्थित हम्पी के निकट बसे हुए गांव में हुआ था. मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमान जी का जन्म हुआ था. भगवान श्रीराम के जन्म से पहले हनुमान जी का जन्म हुआ था. हनुमान जी चैत्र मास की शुक्ल पूर्णमा के दिन जन्मे थे.
4. कल्प के अंत तक शरीर में रहेंगे हनुमान: हनुमान जी को इंद्रदेव से इच्छा मृत्यु का वरदान मिला है, लेकिन भगवान श्रीराम के निर्देशानुसार उन्हें कलयुग के अंत तक रहना ही है. भगवान राम के वरदान अनुसार कल्प का अंत होने पर उन्हें उनके सायुज्य की प्राप्ति होगी. सीता माता के वरदान के अनुसार वे चिरजीवी रहेंगे. रघुवीर श्रीमद्भागवत के अनुसार हनुमान जी कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं.
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5. माता जगदम्बा के सेवक है हनुमानजी: हनुमानजी भगवान श्रीराम के साथ ही माता जगदम्बा के सेवक माने गए हैं और जब माता चलती हैं, तो आगे हनुमान जी चलते हैं और उनके पीछे भैरव बाबा. यही कारण है कि जहां भी देवी का मंदिर होता है, वहां हनुमानजी और भैरव जी के मंदिर जरूर होते हैं.
6. प्रभु पर ब्रह्मास्त्र भी है बेअसर: ब्रह्मदेव ने हनुमान जी को तीन वरदान दिए, जिसमें सबसे प्रमुख और शक्तिशाली वरदान था, उन पर ब्रह्मास्त्र का असर न होना. ब्रह्ममांड में ईश्वर के बाद यदि कोई एक शक्ति मानी गई है तो वह हनुमान जी को माना गया है. महावीर विक्रम बजरंगबली के समक्ष किसी भी प्रकार की मायावी शक्ति ठहर नहीं सकती है.
7. सर्वप्रथम हनुमान जी ने लिखी थी रामायण: हनुमान जी ने हिमालय पर्वत पर रामायण अपने नाखूनों से उकेर कर लिखा था, लेकिन जब तुलसीदास अपनी रामायण हनुमान जी को दिखाने वहां पहुंचे तो उनकी रामायण देख वह दुखी हो गए, क्योंकि वह रामायण बहुत ही सुंदर लिखी गई थी और उनकी रामायण उसके आगे फीकी लगी. हनुमान जी ने जब तुलसीदास के मन की बात जानी तो वह अपनी लिखी रामायण को तुरंत ही मिटा दिए.