11 रुद्रावतारों में सबसे श्रेष्ठ हनुमान को ही क्‍यों माना गया, जानिए बजरंगबली के जन्‍म से जुड़ी सारी बातें

हिंदुस्तान में जिस रामायण, रामकथा और पुराणों में हनुमान का ज़िक्र है उनमें उनके जन्म को लेकर कुछ कथाएं प्रचलित हैं.

author-image
Drigraj Madheshia
एडिट
New Update
11 रुद्रावतारों में सबसे श्रेष्ठ हनुमान को ही क्‍यों माना गया, जानिए बजरंगबली के जन्‍म से जुड़ी सारी बातें

हनुमान जी का चित्र

Advertisment

हनुमान (Hanuman) के धर्म और उनकी जाति (Caste of Hanuman) पर आजकल जो राजनीतिक (Hanuman is political issue now) चर्चा चल रही है उसका सनातन मिथकोंसे दूर दूर तक कोई नाता नहीं है. क्योंकि हिंदुस्तान में जिस रामायण, रामकथा और पुराणों में हनुमान (Hanuman) का ज़िक्र है उनमें उनके जन्म को लेकर कुछ कथाएं प्रचलित हैं.चलिए आपको दिखाते हैं हनुमान (Hanuman) के जन्म की प्रचलित कहानियां. पवनपुत्र हनुमान (Hanuman) के जन्म की सबसे प्रचलित कहानियों में माना जाता है कि हनुमान (Hanuman) की माता अंजना थी और पिता केसरी.

यह भी पढ़ेंः सुंदरकांड में हनुमान ने विभीषण को बताई थी अपनी जाति, जानें किस जाति के हैं बजरंगबली

कथा कुछ ऐसी है कि वानर श्रेष्ठ विरज की बेटी के रूप में वानरी के तौर पर अंजना का जन्म हुआ था. अंजना शिव की परम भक्त थी. अंजना का विवाह वानर सम्राट केसरी के साथ हुआ था.जब राजा दशरथ पुत्रेष्टि यज्ञ कर रहे थे तो प्रसाद के दौर पर मिला खीर रानियों के लिए भेजा गया था. वायु देव जब खीर लेकर जा रहे थे तो उसका एक हिस्सा उन्होंने अंजना को भी दे दिया था. उसके बाद अंजना के गर्भ से हनुमान का जन्म हुआ.

यह भी पढ़ेंः जाति को लेकर दुखी हुए महावीर हनुमान, मूर्ति से गिरने लगे आंसू !

ज्योतिषियों की गणना के अनुसार बजरंगबली जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र और मेष लग्न के योग में हुआ था। वैसे तो हनुमान के जन्म स्थल को लेकर हिंदुस्तान में जगह जगह के दावे किये जाते हैं लेकिन झारखंड के गुमला जिले में अंजना माता का एक मंदिर है. इस मंदिर के पास बड़ी संख्या में शिवलिंग भी पाये जाते हैं. इसी पर्वत की गुफा में एक मंदिर है जहां अंजना माता बाल हनुमान को गोद में लिये मौजूद हैं. 

यह भी देखें ः धर्म संकट में फंसे संकट मोचन, किसके है हनुमान?

माना जाता है कि इसी पर्वत पर हनुमान का जन्म हुआ था. बाल हनुमान की कथाओं में चर्चा होती है कि जन्म के बाद हनुमान एक बार सूर्य को लड्डू समझकर खाने को लपक गए थे. सूर्य को खाने के बाद जब पूरी दुनिया में हाहाकार मचा तो इंद्रदेव ने हनुमान पर वज्र प्रहार कर दिया था. बेसुध हनुमान को देखकर जब पवनदेव ने अपनी गति रोकी तो फिर से पूरी दुनिया में त्राहिमाम हो गया. पवनदेव ने तभी वापस दुनिया को जीवनदान दिया जब हनुमान को तमाम देवताओं ने अपनी शक्ति देकर मूर्छा से वापस लाया.

हनुमान की जन्मकथा में एक जिक्र शिवपुराण का भी आता है.जिसके मुताबिक हनुमान शिव के अवतार थे.माना जाता है शिव के ग्यारह अवतारों में से एक हनुमान भी थे. भक्तवत्सल भगवान शंकर के हर युग में अवतार हुए हैं. मान्यता है कि संसार के उद्धार के लिए भगवान शंकर ने कई अवतातर लिया हैं. इन्हीं में से एक भगवान शिव के 11 रुद्रावतार भी है. शिव के ग्यारह रुद्रावतारों में सबसे श्रेष्ठ हनुमान को ही माना गया है.

ये कथा है कि भगवान शंकर ने खुद से अपना अंश पवनदेव के जरिये अंजना के गर्भ तक पहुंचाया था. मान्यता है कि अंजना ने अपने पूर्व जन्मों में घोर तपस्या करके भगवान शिव को अपने संतान के रूप में चाहा था. माना जाता है कि शिव के रुद्रावतारों में बाकी के दस अवतारों ने मानव शरीर के रूप में जन्म नहीं लिया था.सिर्फ बजरंगबली के रूप में ही जीव धारण कर भगवान शंकर के स्वरूप ने राक्षसों के संहार में भगवान राम की मदद की थी.

VIDEO : दलित और मुसलमान के बाद हनुमान जी, अब बन गए 'जाट' देखिए वीडियो 

हनुमान की जन्मकथा में एक जिक्र शिवपुराण का भी आता है, जिसके मुताबिक हनुमान शिव के अवतार थे.माना जाता है शिव के ग्यारह अवतारों में से एक हनुमान भी थे.भक्तवत्सल भगवान शंकर के हर युग में अवतार हुए हैं, मान्यता है कि संसार के उद्धार के लिए भगवान शंकर ने कई अवतातर लिया हैं, इन्हीं में से एक भगवान शिव के 11 रुद्रावतार भी है. शिव के ग्यारह रुद्रावतारों में सबसे श्रेष्ठ हनुमान को ही माना गया है.

यह भी पढ़ेंः बड़ा सवाल: बजरंग बली पर किसकी दावेदारी, कब रुकेगी जात-पात की राजनीति

ये कथा है कि भगवान शंकर ने खुद से अपना अंश पवनदेव के जरिये अंजना के गर्भ तक पहुंचाया था, मान्यता है कि अंजना ने अपने पूर्व जन्मों में घोर तपस्या करके भगवान शिव को अपने संतान के रूप में चाहा था, माना जाता है कि शिव के रुद्रावतारों में बाकी के दस अवतारों ने मानव शरीर के रूप में जन्म नहीं लिया था.सिर्फ बजरंगबली के रूप में ही जीव धारण कर भगवान शंकर के स्वरूप ने राक्षसों के संहार में भगवान राम की मदद की थी.

Source : News Nation Bureau

Ramayan ramcharit manas hanuman caste Hanuman birth caste of hanuman verdict on hanuman
Advertisment
Advertisment
Advertisment