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Narak Chaturdashi 2020: जानें नरक चतुर्दशी मनाने के पीछे की कहानी और महत्व

आज यानि कि 13 नवंबर को देशभर में नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जा रहा है.  इसे नरक चतुर्दशी के अलावा यम चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी, रूप चौदस और छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है.

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Vineeta Mandal
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Chhoti Diwali 2020

छोटी दिवाली 2020( Photo Credit : (सांकेतिक चित्र))

आज यानि कि 13 नवंबर को देशभर में नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जा रहा है.  इसे नरक चतुर्दशी के अलावा यम चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी, रूप चौदस और छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि आज के दिन सौन्दर्य और आयु प्राप्ति होती है. इस दिन यमराज की पूजा की जाती है.  इससे जीवन में आयु या स्वास्थ्य की जैसी दिक्कतों से मुक्ति मिलती है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, आज के दिन भगवान कृष्ण की उपासना भी की जाती है क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था. 

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नरक चतुर्दर्शी की कथा-

नरकासुर नामक राक्षस था जिसने अपनी शक्ति के बल पर 16 हजार स्त्रियों को बंदी बना लिया था. इसके बाद उसके अत्याचारों से परेशान होकर देवता और संत ने श्री कृष्ण से मदद मांगी.

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भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर देवताओं व संतों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई. इसके बाद छुड़ाई हुई कन्याओं को सामाजिक मान्यता दिलवाने के लिए भगवान कृष्ण ने सभी को अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार किया.

नरकासुर का वध और 16 हजार कन्याओं के बंधन मुक्त होने की खुशी में दूसरे दिन यानि कार्तिक मास की अमावस्या को लोगों ने अपने घरों में दीये जलाए और तभी से नरक चतुर्दशी और छोटी दिवाली का त्योहार मनाया जाने लगा.

इसके अलावा यह भी मान्यता है कि नरक चतुर्दर्शी के दिन यमराज की पूजा करनी चाहिए.  कहा जाता है इस दिन संध्या के समय दीप दान करने से नरक में मिलने वाली यातनाओं, सभी पाप सहित अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है इसलिए भी नरक चतुर्दर्शी के दिन दीपदान और पूजा का विधान है. इस दिन पूजा और व्रत करने वाले को यमराज की विशेष कृपा भी मिलती है.

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Source : News Nation Bureau

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