आज देशभर में दशहरा पर्व मनाया जा रहा है. दशहरा हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है. यह हर साल अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इसे असत्य पर बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. आज ही दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था. चूंकि राम ने इसी दिन रावण पर विजय प्राप्त की थी, लिहाजा दशहरा को विजयादशमी के रूप में भी मनाया जाता है. दशहरा के ठीक 20 दिन बाद दिवाली आती है.
दशहरा का महत्व
दशहरा हर्ष-उल्लास और विजय का पर्व है. इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. दशहरे के दिन देशभर में जगह-जगह ऐतिहासिक रामलीला का आयोजन होता है और कई जगहों पर बड़-बड़े मेले लगते हैं. 9 दिन तक रामलीला का आयोजन होता और 10वें दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशाल पुतला बनाकर उन्हें जलाया जाता है. रावण का पुतला इस उम्मीद में जलाया जाता है कि समाज से बुराइयों का नाश हो सके. दशहरा का पर्व 10 प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है.
आज का दिन शक्ति-पूजा का पर्व
हिंदुओं की मान्यता के अनुसार, इस दिन लोग शस्त्र-पूजा करते हैं और नया कार्य प्रारम्भ करते हैं. ऐसा विश्वास है कि दशहरे के दिन जो कार्य आरंभ किया जाता है, उसमें विजय मिलती है. कहा जाता है कि प्राचीन काल में राजा महाराजा इसी दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे. ऐसे में दशहरा को शक्ति-पूजा का पर्व के रूप भी जाना जाता है. यहां जानिए शस्त्र पूजन की तिथि...
- शस्त्र पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है.
- इस दिन घर के अस्त्र-शस्त्र को इकठ्ठा कर गंगाजल छिड़ककर उन्हें शुद्ध करें.
- सभी शस्त्रों पर हल्दी-कुमकुम का टीका लगाएं. साथ ही फूल इत्यादि भी चढ़ाएं.
- शस्त्र पूजन के दौरान शमी के पत्तों का प्रयोग अवश्य किया जाना चाहिए.
- दशहरा के दिन नया वाहन खरीदना काफी शुभ माना जाता है.
दशहरा का शुभ मुहुर्त
दशहरे का उत्सव शक्ति और शक्ति का समन्वय बताने वाला उत्सव है. इस पर्व को 'विजयादशमी' कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय 'विजय' नामक मुहूर्त होता है. यह काल सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है. इस दिन श्रवण नक्षत्र का योग बहुत अधिक शुभ माना गया है. यहां आपको दशहरा पर पूजा का शुभ मुहूर्त बताएंगे...
- पूजा का ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4.47 बजे से 5.26 बजे तक
- संध्या पूजा का मुहूर्त- शाम 5.42 से 6.57 बजे तक
- अमृत काल का मुहूर्त- शाम 5.15 बजे से 6.56 तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 1.58 बजे से दोपहर 2.41 बजे तक.
- दशमी तिथि प्रारंभ: 25 अक्टूबर को सुबह 7.41 बजे से
- दशमी तिथि समाप्त: 26 अक्टूबर को सुबह 9 बजे तक
विजयदशमी पर पूजा विधि
- इस दिन भगवान राम और शमी के पेड़ की पूजा की जाती है.
- शुभ मुहूर्त में शमी के पौधे के पास सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
- इसके बाद शमी पूजन मंत्र का उच्चारण करें.
- भगवान राम की पूजा के लिए एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं.
- चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान राम की प्रतिमा स्थापित करें.
- फिर धूप-दीप से भगवान राम की उपासना करें.
- इसके बाद आखिरी में भगवान राम की आरती करें.
- शस्त्र पूजन के लिए एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर सभी शस्त्रों को रखें.
- इन सभी शस्त्रों पर गंगाजल छिड़ककर पुष्प अर्पित करें.
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Source : News Nation Bureau