हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2020) आज देशभर में बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. गंगा के तटों पर पवित्र स्नान के लिए जनसैलाब उमड़ा पड़ा है. प्रयागराज के संगम पर इसका एक अद्भूत नजारा देखने को मिल रहा है. मकर संक्रांति के जितना महत्व गंगा स्नान और दान करने का होता है उतना ही महत्व खिचड़ी का भी होता है. मकर संक्रांति के दिन लोगों के घरों में कई स्वादिष्ट पकवान बनते हैं जिनमें एक पकवान खचड़ी भी है. दरअसल मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने का खास महत्व होता है. यही वजह है कि कई जगहों पर इसे खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है.
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खिचड़ी के बगैर क्यों अधूरा है मकर संक्रांति का पर्व?
मान्यताओं के अनुसार सफेद चावलों को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है. वहीं इसमें डाली जाने वाली काली दाल को शनि का प्रतीक बताया गया है. बताया जाता है कि कुंडली में ग्रहों की स्थिती को सामान्य करने के इ चीजों का सेवन जरूर करना चाहिए. इसलिए मकर संक्रांति पर खिचड़ी का सेवन अनिवार्य माना गया है. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन जो कोई भी व्यक्ति खिचड़ी का सेवन करता है, उसके ग्रहों की स्थिति मजबूत बनती है.
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति की खिचड़ी चावल, काली दाल, नमक, हल्दी, मटर और सब्जियां खासतौर पर फूलगोभी डालकर बनाई जाती है. बता दें, मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध और अनुष्ठान का बहुत महत्व है. कहते हैं कि इस मौके पर किया गया दान सौ गुना होकर वापस फलीभूत होता है. मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू, घी-कंबल-खिचड़ी दान का खास महत्व है. मकर संक्रांति पर खासतौर पर तिल भी दान किया जाता है. हालांकि इस दिन राशि अनुसार दान करने की महिमा ज्यादा बताई गई है. कई जगह मकर संक्रांति पर पतंबाजी के साथ ही दान पुण्य का दौर चलता है. तिल का दान सभी के लिए शुभ माना गया है.