नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है. मां के इस रूप की सच्चे मन से पूजा करने से रोग दूर होते हैं. शत्रुओं से भय नहीं होता और लंबी आयु का वरदान मिलता है. इसके साथ ही मां आध्यात्मिक शक्ति, आत्मविश्वास और मन पर नियंत्रण भी बढ़ाती हैं. मां चंद्रघंटा शेर पर सवारी करती हैं और इनके दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं. मां के माथे पर चंद्रमा विराजमान है जो उनका रूप और सुंदर बनाता है. इस दिन मणिपुर चक्र को प्रबल करने के लिए साधना की जाती है. मन, कर्म, वचन शुद्ध करके पूजा करने वालों के सब पाप खत्म हो जाते हैं.
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पूजा विधि
मां को केसर और केवड़ा जल से स्नान करायें. मां को सुनहरे या भूरे रंग के वस्त्र पहनाएं और खुद भी इसी रंग के वस्त्र पहनें. केसर-दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं. मां को सफेद कमल और पीले गुलाब की माला अर्पण करें. पंचामृत, चीनी व मिश्री का भोग लगाएं. मां का आर्शीवाद पाने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करने से फायदा मिलेगा.
"या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः."
Source : News Nation Bureau