सोमवार यानी 2 सितंबर को सुहागन महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए हरितालिका तीज का व्रत करने वाली है. भाद्र शुक्ल तृतीया युक्त चतुर्थी को हरितालिका तीज करना सर्वोत्तम होता है. महिलाएं 24 घंटे निर्जला व्रत करती हैं और माता पार्वती और शिव की पूजा करती हैं. सोमवार को हस्त व चित्रा नक्षत्र, पद्मयोग का दुर्लभ संयोग बना है. ऐसा संयोग 14 वर्षों पर बना है. यानी इस बार हरितालिका तीज करने से विशेष फल मिलने वाला है. सच्चे मन से माता पार्वती और शिव की पूजा आराधना करने पर आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी.
शास्त्रों में भाद्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी व्यापिनी तृतीया को ही हरितालिका तीज का व्रत रखने और पूजन की बात कही गयी है. यह अति फलदायी है. सुख, सौभाग्य और पुत्रादि बढ़ाने वाली है. शास्त्रों में द्वितीया युक्त तृतीया को हरितालिका तीज का व्रत-पूजन निषेध बताया गया है.
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1 सितंबर को सुबह 11.02 बजे से तृतीया तिथि है जो 2 सितंबर की सुबह 8.42 बजे तक है. हस्त नक्षत्र दो सितंबर को सुबह 7.15 बजे तक है. सोमवार 2 सितंबर को सूर्योदय के समय तृतीया तिथि है. सुबह लगभग 9 बजे के बाद चतुर्थी हो जा रही है तो यह तृतीया- चतुर्थी युक्त 2 सितंबर को ही व्रत रखना उत्तम है. 3 सितंबर को चित्रा नक्षत्र पारण के लिए भी उत्तम है.
भाद्र शुक्ल तृतीया तिथि को मां पार्वती का हुआ था जन्म
शास्त्रों के मुताबिक भाद्र शुक्ल तृतीया तिथि को ही माता पार्वती का जन्म और उन्हें स्त्रियों को सौभाग्य प्रदान करने का वरदान महादेव से मिला था. तृतीया तिथि को इस बार हस्त नक्षत्र व सोमवार को संयोग भी है.
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कैसे करें हरतालिका तीज व्रत
इस व्रत पर सुहागन स्त्रियों को नए लाल वस्त्र पहनने चाहिए. मेंहदी लगाकर, सोलह श्रृंगार करें और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करे. इसके बाद हरितालिका तीज की कथा सुनें. फिर रात्रि जागरण करें.
हरतालिका व्रत का शुभ मुहूर्त-
शुभ मुहूर्त सुबह 5.27 से 7.52 रहेगा.
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त शाम 17.50 से 20.09 तक है