यूं तो पति के दीर्घायु होने और उनकी रक्षा के लिए धर्मशास्त्रों में कई व्रत-त्योहारों का जिक्र है, लेकिन इनमें सबसे अधिक महत्ता उत्तर भारत में धूम-धाम से मनाया जाने वाला पावन व्रत 'हरितालिका तीज' की है। यह व्रत सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। तीज पर्व भाद्रपद (भादो) महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष यह पर्व बुधवार को मनाया जाएगा। इन दिनों इस पर्व को लेकर बाजारों में चहल-पहल खूब बढ़ जाती है। तीज में महिलाओं के श्रंगार का खास महत्व होता है। पर्व नजदीक आते ही महिलाएं नई साड़ी, मेहंदी और सोलह श्रंगार की सामग्री जुटाने लगती हैं और प्रसाद के रूप में विशेष पकवान 'पिड़ुकिया' (गुझिया) बनाती हैं।
बिहार में राजधानी पटना सहित सभी कस्बों, गांवों और शहरों के बाजारों में पिछले एक सप्ताह से तीज के कारण चहल-पहल बढ़ती देखी जा रही है। सड़कों पर श्रंगार-सामग्री व फलों की कई अस्थायी दुकानें सज गई हैं। लगभग सभी घरों से पिडुकिया और ठेकुआ की भीनी-भीनी खुशबू आने लगी है। पंडित जय कुमार पाठक कहते हैं कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को भी तीज मनाई जाती है, जिसे छोटी तीज या 'श्रावणी तीज' कहा जाता है, जबकि भाद्रपद महीने में मनाई जाने वाली तीज को बड़ी तीज या 'हरितालिका तीज' मनाई जाती है।
वे कहते हैं, 'महिलाएं इस दिन निर्जला उपवास रखकर रात में शिव-पर्वती की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा करती हैं और पति के दीर्घायु होने की कामना करती हैं। इस पूजा में प्रसाद के तौर पर अन्य फल तो रहते ही हैं, लेकिन पिडुकिया' का रहना अनिवार्य माना जाता है।'
इस पूजा में भगवान को प्रसाद के रूप में पिडुकिया' अर्पण करने की पुरानी परंपरा है। आमतौर पर घर में मनाए जाने वाले इस पर्व में महिलाएं एक साथ मिलकर प्रसाद बनाती हैं। पिडुकिया बनाने में घर के बच्चे भी सहयोग करते हैं। पिडुकिया मैदा से बनाया जाता है, जिसमें खोया, सूजी, नारियल और बेसन अंदर डाल दिया जाता है। पूजा के बाद आस-पड़ोस के घरों में प्रसाद बांटने की भी परंपरा है। यही कारण है किसी भी घर में बड़ी मात्रा में प्रसाद बनाए जाते हैं।
पंडित महदेव मिश्र कहते हैं कि धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, इस पर्व की परंपरा त्रेतायुग से है। इस पर्व के दिन जो सुहागिन स्त्री अपने अखंड सौभाग्य और पति और पुत्र के कल्याण के लिए निर्जला व्रत रखती है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वे बताते हैं कि धार्मिक मान्यता है कि पार्वती की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने तीज के ही दिन पार्वती को अपनी पत्नी स्वीकार किया था। इस कारण सुहागन स्त्रियों के साथ-साथ कई क्षेत्रों में कुंवारी लड़कियां भी यह पर्व करती हैं।
इस पर्व में महिलाओं में संजने-संवरने की होड़ से लगी रहती है। पटना के बोरिंग रोड में इस पर्व के मौके पर साड़ी मार्केट और ब्यूटी पार्लरों में महिलाओं की खासी भीड़ है। बोरिंग रोड के बाजार में खरीदारी कर रहीं महिलाओं का कहना है कि सभी महिलाओं को पूरे वर्ष तीज पर्व का इंतजार रहता है। इस पर्व में पूजा करने के पूर्व महिलाएं सोलह श्रंगार करती हैं। एक पखवाड़े पहले से ही लोग इस पर्व की तैयारी में जुट जाते हैं। मेहंदी की दुकानों में इस पर्व को लेकर महिलाओं की कतार लगी हुई है।
बोरिंग रोड चौराहा पर स्थित सौंदर्य प्रसाधन की दुकान अलिगेंस' के मालिक रत्नेश कुमार आईएएनएस से कहते हैं कि सौंदर्य सामाग्रियों की तीज पर बिक्री बढ़ना कोई नई बात नहीं है। आजकल सभी लोग सजना-संवरना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'अब ग्राहकों की पसंद सौंदर्य प्रसाधनों की क्वालिटी अच्छी होने पर है, महंगे कितने भी क्यों नहीं हों। मूल्य अब मायने नहीं रखता।'
तीज को लेकर साड़ी दुकानों में भी भीड़ उमड़ी है। पटना के ब्यूटी पार्लरों में भी 15 दिन पूर्व से ही महिलाओं की भीड़ जुट रही है। कई ब्यूटी पार्लरों ने तो तीज के मौके पर महिलाओं को आकर्षित करने के लिए खास पैकेज का भी ऐलान कर दिया है। पटना में तीज के पूजा समानों तथा प्रसाद आदि की होम डिलीवरी भी अब होने लगी है। इस होम डिलीवरी में घी से लेकर रिफाइंड तक में बनी 'पिड़ुकिया' उपलब्ध हैं।
Source : IANS