Hartalika Teej 2019: 1 सितंबर को विवाहित महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखेंगी. हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का बड़ा महत्व है. पति की लंबी आयु के लिए विवाहित महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं. इसके अलावा महिलाएं पति के सौभाग्य की कामना के लिए इस दिन निर्जल व्रत रखती हैं. हरतालिका तीज पर भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना पतिव्रता महिलाएं करती हैं. हरतालिका व्रत क्यों रखा जाता है और इसके पीछे क्या कहानी है. इसका महत्व क्या है. आइये हरतालिका तीज व्रत को समझने की कोशिश करते हैं.
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क्यों मनाया जाता है हरतालिका तीज
कथा के मुताबिक माता पार्वती ने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए हिमालय पर गंगा के किनारे तप किया था. तप के समय माता पार्वती बाल्यावस्था में थीं. तप के दौरान उन्होंने किसी भी तरह के अन्न को सेवन नहीं किया. कई सालों तक उन्होंने सिर्फ वायु का सेवन करके जीवन व्यतीत किया. माता पार्वती के पिता उनकी स्थिति को देखकर काफी दुखी थे. कुछ समय बाद महर्षि नारद माता पार्वती के पिता के पास भगवान विष्णु से माता पार्वती के विवाह का प्रस्ताव लेकर पहुंचे. पार्वती जी के पिता ने महर्षि नारद के प्रस्ताव को खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया. माता पार्वती के पिता ने विवाह के प्रस्ताव की जानकारी जब उन्हें दी तो वे काफी दुखी हो गईं और इस प्रस्ताव को सुनकर विलाफ करने लगी.
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इस स्थिति में माता पार्वती ने अपनी एक सखी से अपने मन की बात बताई. पार्वती जी ने अपनी सखी को बताया कि उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए तप किया है. वहीं उनके पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से कराना चाहते हैं. सखी की सलाह पर माता पार्वती जंगल में गईं और एक गुफा में भगवान शिव की आराधना में लीन हो गईं.
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उन्होंने भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र को रेत से शिवलिंग का निर्माण किया. माता पार्वती के घरघोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दर्शन देकर उनकी इच्छानुसार पार्वती जी को पत्नी स्वीकार कर लिया. ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो भी महिला विधि-विधानपूर्वक व्रत रखती है तो उसे उसके मन के मुताबिक पति मिलता है.