हरतालिका तीज 2020 (Hartalika Teej 2020) : कल यानी शुक्रवार को हरतालिका तीज का व्रत है. हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए यह कठिन व्रत रखती हैं. इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत करती हैं. शाम को कथा सुनती हैं और माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं. पूजा में महिलाएं मां पार्वती को सुहाग का सामान जैसे- चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, लाल रिबन, आलता, मेहंदी, शीशा, कंघी और वस्त्र अर्पित करती हैं. आइए जानते हैं हरतालिका तीज व्रत की कथा के बारे में:
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हिंदू धर्म के जानकारों के अनुसार, महादेव को पति रूप में पाने के लिए हिमालय पुत्री गौरी ने गंगा किनारे अधोमुखी होकर घोर तप किया था. सैकड़ों वर्ष तक बिना अन्न-जल ग्रहण किए माता गौरी ने जाड़े में पानी में खड़े होकर और भीषण गर्मी में पंचाग्नि से शरीर को तपाया. बरसात में खुले आसमान में रहकर तपस्या की. सप्तर्षियों ने माता गौरी के शिव प्रेम की परीक्षा ली लेकिन वे उन्हें उनके संकल्प से विचलित नहीं कर पाए. प्रसन्न होकर सप्तर्षियों ने महादेव को पूरी बात बताई.
बताते हैं कि भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हथिया नक्षत्र में गौरी ने रेत का शिवलिंग बनाकर रात भर पूजा की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव गौरी के सामने उपस्थित हुए और वर मांगने को कहा. माता गौरी ने भगवान शिव से खुद को अर्द्धांगिनी के तौर पर स्वीकार करने का वर मांगा. भगवान शिव ने माता गौरी को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया. उसके बाद से मनोकामना पूर्ति और पति की लंबी आयु के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है. कई जगहों पर कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं.
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हरतालिका तीज व्रत का प्रचलन कब और कहां से शुरू हुआ, इस बारे में कोई खास विवरण नहीं मिलता. फिर भी यह माना जाता है कि हरतालिका व्रत का संबंध शिव औऱ पार्वती से है. हरतालिका व्रत को शिव-पार्वती के पुनर्मिलन और शिव को अमरता प्रदान कराने वाला व्रत भी मानते हैं.
(यह खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है.)
Source : News Nation Bureau