Hartalika Teej 2024: हरतालिका तीज का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए बहुत ही खास होता है. यह व्रत हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना के लिए व्रत करती हैं, जबकि कुंवारी लड़कियां विवाह में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए इस व्रत को रखती हैं.
16 श्रृंगार का धार्मिक महत्व
हरतालिका तीज के दिन सुहागिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं, जो इस व्रत का एक जरूरी हिस्सा है. 16 श्रृंगार का मतलब है 16 अलग-अलग प्रकार के सजने-संवरने के तरीके. इसमें इत्र, पायल, बिछिया, अंगूठी, गजरा, कान की बाली या झुमके, शादी का जोड़ा, मेहंदी, मांगटीका, काजल, मंगलसूत्र, चूड़ियां, बाजूबंद, कमरबंद, सिंदूर, और बिंदी शामिल होते हैं. यह 16 श्रृंगार सुहाग का प्रतीक माने जाते हैं और इन्हें करके महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, माता पार्वती ने भी भगवान शिव को पाने के लिए 16 श्रृंगार करके इस व्रत की शुरुआत की थी.
हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त
इस साल हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त 6 सितंबर को है. तृतीया तिथि की शुरुआत 5 सितंबर को दोपहर 12:21 बजे से हुई और इसका समापन 6 सितंबर को दोपहर 3:30 बजे होगा. पूजा का सबसे शुभ समय 6 सितंबर की सुबह 6:02 से लेकर 8:33 तक है. इस समय के दौरान महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधि-विधान से कर सकती हैं.
हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए खास महत्व रखता है, क्योंकि यह व्रत उनके दांपत्य जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने के लिए किया जाता है. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं 16 श्रृंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करती हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)