हरतालिका तीज (Hartalika Teej) : उज्‍जैन के सौभाग्‍येश्‍वर मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध से नाराजगी

उज्जैन के प्रसिद्ध सौभाग्येश्वर मंदिर में हरतालिका तीज पर श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. चप्पे-चप्पे पर पुलिसबल तैनात है और जगह-जगह बैरिकेटिंग की गई है. इससे श्रद्धालुओं में खासी नाराजगी है.

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Sunil Mishra
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Hartalika Teej

हरतालिका तीज : उज्‍जैन के इस मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पाबंदी( Photo Credit : File Photo)

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उज्जैन (Ujjain) के प्रसिद्ध सौभाग्येश्वर मंदिर में हरतालिका तीज (Hartalika Teej) पर श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. चप्पे-चप्पे पर पुलिसबल तैनात है और जगह-जगह बैरिकेटिंग की गई है. इससे श्रद्धालुओं में खासी नाराजगी है. उज्जैन के सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर में हर साल हरतालिका तीज पर्व पर सैकड़ों महिलाएं व कन्याएं दर्शन व पूजन को आती रही हैं लेकिन इस साल कोरोना वायरस प्रोटोकॉल के तहत मंदिर में किसी भी श्रद्धालु के प्रवेश पर पूरी तरह पाबंदी है. मंदिर जाने के रास्‍ते में जगह-जगह बैरिकेटिंग की गई है.

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दरअसल इस मंदिर में महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य की कामना को लेकर साथ ही कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए पूजा करने आती हैं लेकिन आज प्रशासन ने नोटिस लगाकर सभी को घर पर पूजा करने का अनुरोध किया है. प्रशासन ने पूर्व में आदेश दिया था कि एलईडी के माध्यम से श्रद्धालुओं को दर्शन कराए जाएंगे परंतु भीड़ अधिक बढ़ने के कारण एलईडी हटा दी गई है.

हरतालिका तीज का महत्‍व : हिन्‍दू धर्म में हरताल‍िका तीज की महिमा को अपरंपार माना गया है. सुहागिन महिलाओं के लिए इस पर्व का महात्‍म्‍य बहुत ज्‍यादा है. हरियाली तीज और कजरी तीज की तरह ही हरतालिका तीज के दिन भी गौरी-शंकर की पूजा की जाती है. यह व्रत बेहद कठिन है. इस दिन महिलाएं 24 घंटे से भी अधिक समय तक निर्जला व्रत करती हैं. यही नहीं रात के समय महिलाएं जागरण करती हैं और अगले दिन सुबह पूजा-पाठ करने के बाद ही व्रत खोलती हैं.

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हरतालिका तीज भाद्रपद शुक्ल की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. मनचाहे और योग्य पति की कामना के लिए यह व्रत रखा जाता है. कोई भी स्त्री ये व्रत को रख सकती है. हरतालिका तीज भगवान शिव और पार्वती को समर्पित है. इस व्रत को सर्वप्रथम देवी पार्वती ने शंकर जी को पाने के लिए किया था और इस व्रत और तपस्या खुश कर ही शंकर जी ने देवी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. इस व्रत में देवी के तप और तपस्या से जुड़ी कथा का ही वाचन किया जाता है.

Source : News Nation Bureau

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