Tirupati Temple: तिरुपति लड्डू विवाद अब तूल पकड़ता जा रहा है. हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए ये खबर चौकाने वाली है. हालांकि इस खबर की सच्चाई पर प्रशासन काम कर रहा है. हाल ही में आंध्रप्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने पूर्व सरकार पर आरोप लगाया है कि उनके समय में मंदिर में जो प्रसाद बनाकर भक्तों को दिया गया था, उसमें चर्बी का उपयोग हुआ. अब ये आरोप और प्रत्यारोप की राजनीति भी गरमाती जा रही है. तिरुपति मन्दिर का प्रसाद और चर्बी का संदेह लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहा है.
तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर, जिसे तिरुमला मंदिर भी कहा जाता है, दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के तिरुपति शहर में स्थित है. यह मंदिर भगवान वेंकटेश्वर, जो भगवान विष्णु का अवतार माने जाते हैं उन्हे समर्पित है. मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है. मंदिर की प्राचीनता के बारे में कहा जाता है कि इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और शास्त्रों में मिलता है, जिसमें श्री वेंकटेश्वर का स्वरूप और पूजा विधि का वर्णन किया गया है. तिरुपति मंदिर का प्रमुख आकर्षण भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति है, जिसे विशेष रूप से धन्य माना जाता है. इसे 'निधि' का स्वरूप कहा जाता है, और भक्तों का विश्वास है कि यहां पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मंदिर में हर दिन हजारों भक्त आते हैं, और यह विश्व का सबसे अमीर धार्मिक स्थल भी माना जाता है.
इस मंदिर का प्रसाद, विशेषकर तिरुपति लड्डू, भक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध है. भक्तों का मानना है कि इस प्रसाद को ग्रहण करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और भगवान की कृपा प्राप्त होती है. मंदिर में आने वाले भक्त इसे पूरी श्रद्धा से लेते हैं. प्रसाद बांटने की परंपरा समाज में भाईचारा और एकता को बढ़ावा देती है. तिरुपति बालाजी का प्रसाद न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह श्रद्धा, समर्पण और भक्तिभाव का भी परिचायक है. लड्डू विवाद में चर्बी का शोर, तब मचना शुरू हुआ जब सीएम नायडू ने रेड्डू सरकार पर सवाल उठाए. तिरुपति लड्डू पर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा. जानवरों की चर्बी की अफवाहों में कितना सच है ये तो प्रशासन की रिपोर्ट आने के बाद ही साफ होगा. लेकिन इस समय भगवान वेंकटेश्वर के भक्तों की आस्था के साथ खिलवाड़ का ये मामला सुर्खियां बटौर रहा है. तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर का इतिहास भक्ति, संस्कृति और समाज की एक अद्भुत मिसाल प्रस्तुत करता है, जो सदियों से श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक बना हुआ है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)