Explainer: सदियों से हिंदूओं पर अत्याचार होते आ रहे हैं. हिंदू नरसंहार जिस तरह से इस समय बांग्लादेश में हो रहा है उसे देखकर हर ओर लोग दुखी हो रहे हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ये पहली बात नहीं है. सदियों से बर्बता के साथ हिंदूओं का नरसंहार हुआ है. दुनिया में हिंदू नरसंहार का इतिहास अत्यंत दुखद विषय है, जिसमें कई क्षेत्रों और साम्राज्यों में हिंदू समुदायों को उत्पीड़न, जबरन धर्मांतरण और नरसंहार का सामना करना पड़ा है. जिस तरह से इस समय बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति है उसे देखने के बाद जब हमने इतिहास के पन्ने पलटे तो जानिए कि और कब-कब हिंदू समुदाय पर अत्याचार हुए
इतिहास के काले पन्नों में दर्ज है हिंदू नरसंहार (History Of Hindu Narsanhar)
भारत में इस्लामी आक्रमण (8वीं से 18वीं शताब्दी)
8वीं से 18वीं शताब्दी के बीच, कई मुस्लिम शासकों ने भारत पर आक्रमण किया और यहां शासन किया. 8वीं शताब्दी में मुहम्मद बिन कासिम के आक्रमण से लेकर दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य तक, हिंदुओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर हत्याएं और जबरन धर्मांतरण हुए. सोमनाथ, मथुरा और काशी जैसे शहरों में मंदिरों का विध्वंस और हिंदू निवासियों का नरसंहार हुआ. मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर आक्रमण करके भारत में इस्लामी आक्रमणों की शुरुआत की तोमहमूद गजनवी ने भारत पर बार-बार आक्रमण किए और यहां से अपार धन लूटकर ले गया. इसके बाद मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराकर भारत में तुर्की शासन की नींव रखी. कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश, अलाउद्दीन खिलजी, मोहम्मद बिन तुगलक जैसे शासकों ने दिल्ली सल्तनत का विस्तार किया. बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब जैसे शासकों ने मुगल साम्राज्य की स्थापना की और इसे भारत के अधिकांश हिस्सों में फैलाया.
भारत पर प्रभाव
17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगज़ेब के शासनकाल के दौरान, हिंदुओं को कठोर उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसमें मंदिरों का विध्वंस, जजिया कर का आरोपण, और जबरन धर्मांतरण शामिल थे. विशेष रूप से, सिख गुरु तेग बहादुर और राजपूत शासक राजा संभाजी के निष्पादन धार्मिक असहिष्णुता के उदाहरण माने जाते हैं.
1560–1812 में गोवा में पुर्तगाली इनक्विज़िशन ने हिंदुओं को निशाना बनाया. उन्हें जबरन ईसाई धर्म में धर्मांतरित किया और जो इसका विरोध करते थे, उनका उत्पीड़न किया. कई हिंदुओं को यातनाएं दी गईं और मार डाला गया या उत्पीड़न से बचने के लिए वे क्षेत्र से भाग गए.
नालंदा का विनाश (1193)
नालंदा विश्वविद्यालय, जो हिंदू और बौद्ध शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था, को मुस्लिम जनरल बख्तियार खिलजी द्वारा नष्ट कर दिया गया. इतना ही नहीं बल्कि 1193 में हजारों भिक्षुओं और विद्वानों की हत्या कर दी गई और अनमोल ग्रंथों को जला दिया गया. हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री इसे बेहतर करने का प्रयास लगातार कर रहे हैं.
भारत का विभाजन (1947)
भारत के विभाजन के दौरान साम्प्रदायिक दंगों में लाखों हिंदुओं और सिखों की हत्या कर दी गई. कारण ये बताया गया कि वे नवगठित पाकिस्तान से भारत की ओर भाग रहे थे. विशेष रूप से पंजाब और बंगाल में इस हिंसा में बड़े पैमाने पर हत्याएं, बलात्कार और अपहरण हुए.
बांग्लादेश मुक्ति युद्ध (1971)
पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता के युद्ध के दौरान भी पाकिस्तानी सेना और स्थानीय सहयोगियों द्वारा हिंदुओं को विशेष रूप से निशाना बनाया गया. इतिहास के काले पन्नों में दर्ज है कि इस दौरान लाखों हिंदुओं की हत्या की गई, जिसे इतिहास के सबसे बड़े नरसंहारों में से एक माना जाता है.
कश्मीरी पंडितों का पलायन (1990)
कश्मीर घाटी में 1990 के दशक की शुरुआत में हिंदू अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों को इस्लामी आतंकवादियों द्वारा धमकियों, हत्याओं और हिंसा के कारण अपने घरों से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा. कई लोग मारे गए, और उनके घर और मंदिर नष्ट कर दिए गए. ये दर्द आजतक इन कश्मीर पंडितों के दिलों में है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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