Holi 2022: इस कारण से आग के बदले रंगों से जुड़ गई होली, जानें यहां

होली (holi 2022) का त्योहार फाल्गुन माह के आते ही सबको अपनी ओर खींचने लगता है. इस साल होली 18 मार्च 2022 को मनाई जाएगी. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि होली (holi history) के दिन के दिन रंगों से खेलने की प्रथा कहां से शुरु हुई.

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Megha Jain
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Holi 2022 festival history

Holi 2022 festival history( Photo Credit : social media)

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होली (holi 2022) का त्योहार फाल्गुन माह के आते ही सबको अपनी ओर खींचने लगता है. इस साल होली 18 मार्च 2022 को मनाई जाएगी. इस दिन तेज संगीत, ड्रम आदि के बीच विभिन्न रंगों और पानी को एक दूसरे पर फेंका जाता है. भारत में कई अन्य त्योहारों की तरह, होली भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि होली (happy holi 2022) के दिन रंगों से खेलने की प्रथा कहां से शुरु (holi festival history) हुई. होली कितने दिन का त्यौहार है. होली मनाने के लिए तेज संगीत, ड्रम वगैराह के बीच अलग-अलग रंगों और पानी को एक-दूसरे पर फेंका जाता है. भारत (holi 18 march 2022) में कई अन्य त्योहारों की तरह, होली भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. तो चलिए आज हम आपको होली में रंगों के महत्व को विस्तार से (Holi festival 2022) समझाते हैं.  

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होली का त्योहार कितने दिनों तक मनाया जाता है - 

होली एक दिन का त्योहार नहीं है. ये तीन दिनों का त्योहार (holi color festival) है.  

पहला दिन – पहले दिन होलिका को जलाया जाता है, जिसे होलिका दहन कहते हैं. इस दिन होलिका (holi celebration) की प्रतिमाएं जलाई जाती हैं और लोग होलिका और प्रहलाद की कहानी को याद करने के लिए अलाव जलाते हैं. होलिका दहन 17 मार्च को है.

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दूसरा दिन - दूसरे दिन लोग एक-दूसरे को रंग और अबीर-गुलाब लगाते हैं जिसे धुरड्डी व धूलिवंदन कहा जाता है. इस दिन को पूरे उत्साह से मनाया जाता है. सभी लोगों को पुराने गिले-शिकवे भूलकर इस दिन एक-दूसरे को रंग लगाना चाहिए. 

तीसरा दिन - होली के पांचवें दिन रंग पंचमी को भी रंगों का त्योहार मनाते हैं. इस दिन को ‘पर्व’ के रूप में जाना जाता है और ये होली के उत्सव का अंतिम दिन होता है. इस दिन एक दूसरे पर रंगीन पाउडर और पानी डाला जाता है. राधा और कृष्ण व देवी देवताओं की पूजा की जाती है और उन्हें रंगों से रंगा जाता है.     

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होली पर रंगों से क्यों खेला जाता है (history of holi festival)

माना जाता है कि होली पर रंगों से खेलना भगवान कृष्ण के टाइम से चला आ रहा है. भगवान कृष्ण प्रेम के प्रतीक माने जाते हैं. श्रीकृष्ण मथुरा में रंगों के साथ होली मनाते थे. उसके बाद से ही होली का त्योहार रंगों के त्योहार के रूप में मनाए जाने की प्रथा शुरू हो गई. वह वृंदावन और गोकुल में अपने दोस्तों के साथ होली (holika dahan 2022) खेलते थे. धीरे -धीरे इस त्योहार ने एक सामुदायिक कार्यक्रम का रूप ले लिया. यही वजह है कि आज भी वृंदावन में होली का त्योहार बेजोड़ है और अब दुनिया में सभी जगह लोग अपने - अपने तरीके से होली खेलते हैं और अपने भीतर की कटुता को खत्म करते हुए मित्रवत रहते हैं. होली (story behind holi) को लेकर एक मान्यता ये भी है कि होली एक वसंत त्योहार है जो सर्दियों को अलविदा कहता है. कुछ हिस्सों में उत्सव वसंत फसल के साथ भी जुड़े हुए हैं. नई फसल से भरे हुए अपने भंडार को देखने के बाद किसान होली को अपनी खुशी के एक हिस्से के रूप में मनाते हैं. इस वजह से होली को ‘वसंत महोत्सव’ के रूप में भी जाना जाता है.  

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