प्यार और उल्लास से भरे होली के त्योहार में अक्सर हम इतने रंगीन हो जाते हैं कि मर्यादा का ख्याल नहीं रहता. 'बुरा न मानो होली है' कहकर बच निकलने वाले ये जान लें कि आपका ज्यादा रंगीन होना आपकी होली को बदरंग कर सकता है. इस त्योहार के जोश में आप जाने अनजाने कानूनी पचड़े में भी पड़ सकते हैं. क्योंकि होली पर महिलाएं भी खूब रंग खेलती हैं. ऐसे में यदि कोई पुरुष उनके साथ जोर जबरदस्ती करे या उनको आपत्तिजनक तरीके से छूने की कोशिश करे तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है.
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भारतीय दंड संहिता यानी IPC महिलाओं को विशेष सुरक्षा प्रदान करता है. इसलिए त्योहार पर भी उनके साथ कोई जोर जबरदस्ती करना किसी को भी महंगा पड़ सकता है. महिलाओें के साथ-साथ बच्चों के साथ भी जोर जबरदस्ती या छेड़छाड़ या उत्पीड़न के मामले में भी सख्त कार्रवाई हो सकती है. पुलिस महिलाओं के साथ होने वाले ऐसे मामलों में आरोपी के खिलाफ धारा 354 के तहत मुकदमा दर्ज करती है.
यह धारा उन पर लगाई जाती है जो स्त्री की मर्यादा और मान सम्मान को क्षति पहुंचाते हैं. उनके साथ जोर जबरदस्ती और उनको गलत नीयत से छूते हैं. महिलाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी या बुरी नीयत से हमला, गलत मंशा के साथ किया गया बर्ताव भी इसी धारा के दायरे में आता है. इसके तहत आरोपी पर दोष सिद्ध हो जाने पर दो साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.
बच्चों के साथ जोर जबरदस्ती या छेड़छाड़ या उत्पीड़न के मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है. यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है. पॉक्सो एक्ट की धारा 5 एफ, 6, 7, 8 और 17, किसी शैक्षिक संस्थान में बाल यौन उत्पीड़न से सबंधित है. अगर किसी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई होती है, तो आरोपी को तुरंत गिरफ्तार किया जाता है. इस एक्ट के तहत धरे गए आरोपी को जमानत भी नहीं मिलती है. इस एक्ट में पीड़ित बच्ची या बच्चे के प्रोटेक्शन का भी प्रावधान हैं.
Source : News Nation Bureau