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Braj Holi 2022: दुनिया में होली के 3 दिन पर ब्रज में हैं 40, वृंदावन से लेकर गोकुल तक रंगोत्सव की छाई घनघोर छटा

जहां एक तरफ पूरी दुनिया में होली 2 या 3 दिन के लिए मनाई जाती है वहीं ब्रज धाम में होली के अवसर पर 40 दिनों का भव्य रंगोत्सव होता है. चलिए जानते हैं इस बार होली पर समस्त प्ब्राज मंडल में क्या कुछ ख़ास है.

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Gaveshna Sharma
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दुनिया में होली के 3 दिन पर ब्रज में हैं 40, रंगोत्सव की छाई घनघोर छटा

दुनिया में होली के 3 दिन पर ब्रज में हैं 40, रंगोत्सव की छाई घनघोर छटा( Photo Credit : Social Media)

Braj Holi 2022: होली पर्व में रंगो का आना ईश्वर की एक मान्यता पर आधारित है. मान्यता है कि होली को रंगों का त्योहार मनाना भगवान कृष्ण के समय से शुरू हुआ. भगवान कृष्ण प्रेम के प्रतीक माने जाते हैं. श्रीकृष्ण मथुरा में रंगों के साथ होली मनाते थे और उसके बाद से ही होली का त्यौहार रंगों के त्यौहार के रूप में मनाए जाने की प्रथा शुरू हो गई. वह वृंदावन और गोकुल में अपने दोस्तों के साथ होली खेलते थे. धीरे-धीरे इस त्यौहार ने एक सामुदायिक कार्यक्रम का रूप ले लिया है.

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यही वजह है कि आज भी वृंदावन में होली का उत्सव बेजोड़ है और अब दुनिया में सभी जगह लोग अपने-अपने तरीके से होली खेलते हैं और अपने भीतर की कटुता को समाप्त करते हुए मित्रवत रहते हैं. होली को लेकर एक मान्यता यह भी है कि होली एक वसंत त्योहार है जो सर्दियों को अलविदा कहता है. कुछ हिस्सों में उत्सव वसंत फसल के साथ भी जुड़े हुए हैं. नई फसल से भरे हुए अपने भंडार को देखने के बाद किसान होली को अपनी खुशी के एक हिस्से के रूप में मनाते हैं. इस वजह से, होली को 'वसंत महोत्सव' के रूप में भी जाना जाता है.

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फाल्गुन का माह आते ही होली और रंगों का खुमार सभी के मन को अपनी ओर आकर्षित करने लगता है. इस वर्ष 18 मार्च 2022 को खेलने वाली होली मनाई जाएगी. लेकिन क्या कभी आपने सोचा हैं कि  होली, जिसे 'रंगों का त्योहार' के रूप में जाना जाता है, इसमें रंगों को खेलने की प्रथा कहां से शुरु हुई? होली कितने दिन का त्यौहार है? होली मनाने के लिए तेज संगीत, ड्रम आदि के बीच विभिन्न रंगों और पानी को एक दूसरे पर फेंका जाता है. भारत में कई अन्य त्योहारों की तरह, होली भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. तो चलिए आज हम आपको होली में रंगों के महत्व को विस्तार से समझाते हैं:-

 

होली एक दिन का त्यौहार नहीं है. यह तीन दिनों तक मनाया जाता है. पहले दिन होलिका को जलाया जाता है, जिसे होलिका दहन कहते हैं. इस दिन होलिका की प्रतिमाएं जलाई जाती हैं और लोग होलिका और प्रहलाद की कहानी को याद करने के लिए अलाव जलाते हैं. होलिका दहन 17 मार्च को है. दूसरे दिन लोग एक-दूसरे को रंग व अबीर-गुलाब लगाते हैं जिसे धुरड्डी व धूलिवंदन कहा जाता है.

इस दिन को पूरे उत्साह से मनाया जाता है. सभी लोगों को पुराने गिले-शिकवे भूलकर इस दिन एक- दूसरे को रंग लगाना चाहिए. होली के पांचवें दिन रंग पंचमी को भी रंगों का उत्सव मनाते हैं. इस दिन को 'पर्व' के रूप में जाना जाता है और यह होली के उत्सव का अंतिम दिन होता है. इस दिन एक दूसरे पर रंगीन पाउडर और पानी डाला जाता है. राधा और कृष्ण व देवी देवताओं की पूजा की जाती है और उन्हें रंगों से रंगा जाता है.

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