भारत के हर स्थान पर होली (Holi) का त्योहार मनाने की एक अलग ही परंपरा है. इसमें कुछ स्थानों पर होली के पांचवें दिन यानी चैत्र कृष्ण पंचमी को रंगपंचमी (Rang Panchami) का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. महाराष्ट्र में होली के बाद पंचमी के दिन रंग खेलने की परंपरा है. यह रंग सामान्य रूप से सूखा गुलाल होता है. इस पर्व का इतिहास काफी पुराना है. कहा जाता है कि प्राचीन समय में जब होली का उत्सव कई दिनों तक मनाया जाता था उस समय रंगपंचमी के साथ उसकी समाप्ति होती थी और उसके बाद कोई रंग नहीं खेलता था.
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महाराष्ट्र (Maharashtra) में इस दिन विशेष भोजन बनाया जाता है जिसमे पूरनपोली अवश्य होती है. मछुआरों की बस्ती में इस त्योहार का मतलब नाच, गाना और मस्ती होता है. ये मौसम रिश्ते (शादी) तय करने के लिये होता है, क्योंकि सारे मछुआरे इस त्योहार पर एक दूसरे के घरों को मिलने जाते है और काफी समय मस्ती मे व्यतीत करते हैं. राजस्थान (Rajasthan) में इस अवसर पर विशेष रूप से जैसलमेर के मंदिर महल में लोकनृत्यों में डूबा वातावरण देखते ही बनता है जब कि हवा में लाल नारंगी और फ़िरोज़ी रंग उड़ाए जाते हैं.
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मध्यप्रदेश के इंदौर में इस दिन सड़कों पर रंग मिश्रित सुगंधित जल छिड़का जाता है. लगभग पूरे मालवा प्रदेश में होली पर जलूस निकालने की परंपरा है, जिसे गेर कहते हैं. जलूस में बैंड-बाजे शामिल होते हैं. इस गेर के जरिए पानी बचाओ, महिला सशक्तीकरण, बेटी बचाओ आंदोलन, रेप-बलात्कार से भारत को मुक्ति दिलाने वाले संदेशों पर जोर दिया जाएगा.
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Source : News Nation Bureau