Baisakhi 2024: बैसाखी कैसे मनायी जाती है, जानें सिख धर्म में इसका महत्व

Baisakhi 2024: बैसाखी सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व वाला त्योहार है, जो सिख समुदाय के लिए नए उत्साह का प्रतीक है. इस दिन गुरुद्वारों में धार्मिक पाठ, लंगर और नगर कीर्तन का आयोजन किया जाता है.

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Inna Khosla
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how baisakhi is celebrated

Baisakhi 2024( Photo Credit : News Nation)

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Baisakhi 2024: बैसाखी का इतिहास 17वीं शताब्दी में सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी से जुड़ा हुआ है. 13 अप्रैल, 1699 को उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की थी. इस दिन उन्होंने पांच प्यारों को अमृत छकाकर खालसा बनाया था. गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिखों को एकजुट करने और उन्हें धार्मिक उत्पीड़न से बचाने के लिए खालसा पंथ की स्थापना की थी. खालसा पंथ के सदस्यों को "सिख" कहा जाता है, और उन्हें कुछ नियमों का पालन करना होता है, जैसे कि: केश रखना, कंघा पहनना, कड़ा पहनना, कच्छा पहनना और कृपाण रखना. बैसाखी के दिन सिख गुरुद्वारों में जाते हैं, गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं, और लंगर का आयोजन करते हैं. बैसाखी का उत्सव पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन यह पंजाब में सबसे लोकप्रिय है. इस दिन लोग नगर कीर्तन में शामिल होते हैं, मेले में जाते हैं, और गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती मनाते हैं. बैसाखी का संदेश एकता, भाईचारा, और बलिदान है. यह हमें सिखाता है कि हमें हमेशा सच के लिए लड़ना चाहिए और दूसरों की मदद करनी चाहिए.

तिथि और समय:

बैसाखी 2024: 13 अप्रैल, 2024

शुभ मुहूर्त:

सुबह 11:01 बजे से दोपहर 1:33 बजे तक

दोपहर 3:05 बजे से शाम 5:37 बजे तक

सिख धर्म में महत्व: बैसाखी सिखों के लिए नए साल का प्रतीक है. यह पंजाबी नव वर्ष भी कहलाता है. इस दिन खरीफ फसल की कटाई का उत्सव भी है. किसान अपनी फसल के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं. 13 अप्रैल, 1699 को गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. इस दिन उन्होंने पांच प्यारों को अमृत छकाकर खालसा बनाया था. बैसाखी वीरता और त्याग का प्रतीक भी है. इस दिन सिख गुरुओं और उनके शिष्यों ने धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया था. 

बैसाखी कैसे मनाई जाती है: सिख गुरुद्वारों में जाते हैं और गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं. गुरुद्वारों में लंगर का आयोजन किया जाता है, जिसमें सभी को भोजन परोसा जाता है. नगर कीर्तन निकाला जाता है, जिसमें लोग गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी के साथ भक्ति गीत गाते हुए चलते हैं. जगह-जगह मेले लगते हैं, जिनमें लोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों और वस्तुओं का आनंद लेते हैं. इस दिन गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती भी मनाई जाती है. बैसाखी एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो सिखों के लिए धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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