Mythological Story: विश्व की प्राचीनतम नगरी काशी से जुड़ी है विष्णु भगवान की परीक्षा की कहानी. ये तो सब जानते हैं कि काशी को शिव की नगरी कहा जाता है. जिसे भी उन्हें प्रसन्न करना होता है वो यहां चला आता है. एक बार भगवान विष्णु भी शिवजी को प्रसन्न करने काशी आए. लेकिन यहां भगवान ने उनकी ऐसी परीक्षा ली कि ये पौराणिक कथा आज भी प्रचलित है. क्या है ये पौराणिक कहानी आइए जानते हैं.
एक पौराणिक कथा है... पृथ्वी पर जब दैत्यों का अत्याचार बहुत बढ़ गया और दानव जब स्वर्ग लोक तक पहुंच गए, तब सभी देवता घबराकर भगवान विष्णु के पास गए, दानवों का नाश करने के लिए एक दिव्य अस्त्र की ज़रुरत थी. भगवान विष्णु जानते थे कि ऐसा अस्त्र भगवान शिव के पास है. पुराणों के अनुसार सुदर्शन चक्र का निर्माण भगवान शंकर ने किया था, शिव महापुराण में इससे जुड़ी एक कथा में लिखा है कि इस चक्र को लेने जब विष्णु जी शिव भगवान की आराधना शुरु की तो उनकी स्तुति करने के लिए उन्होंने भगवान को 1000 कमल के फूल अर्पित करे.
पूजा करते समय एक फूल कम निकला क्योंकि भगवान शिव, विष्णु जी की परीक्षा ले रहे थे तो वो फूल उन्होंने ही अपनी दिव्य शक्ति से गायब किया था. लेकिन भक्ति में लीन विष्णु जी को ध्यान आया कि उनकी आंखों को कमल रूप कहा जाता है. उन्होंने पूजा के दौरान अपनी एक आंख कमल स्वरूप भगवान शिव को भेंट की.
विष्णु जी के भक्ति भाव से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उनसे पूछा कि तुम्हें क्या चाहिए. तब विनम्रता से श्री हरी ने दैत्यों के संहार के लिए भोलेनाथ से एक अजेय अस्त्र मांगा. भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर खुद के द्वारा बनाया हुआ सुदर्शन चक्र भगवन श्री हरी विष्णु को भेंट किया. श्री हरी ने सुदर्शन चक्र धारण किया और कई बार देवताओं को इस चक्र की सहायता से दैत्यों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)