Death of Buddha: गौतम बुद्ध ने 80 वर्ष की आयु में 483 ईसा पूर्व में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया. उनकी मृत्यु कुशीनगर (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत) में मल्ल राजवंश के श्रावस्ती नामक नगर में हुई. उनके अंतिम दिनों और महापरिनिर्वाण की कहानी बौद्ध धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है. गौतम बुद्ध, जिन्हें शाक्यमुनि बुद्ध और भागवत बुद्ध के नाम से भी जाना जाता है, बौद्ध धर्म के संस्थापक थे. उनका जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में इक्ष्वाकु वंश के राजा शुद्धोधन और माता मायादेवी के घर हुआ था. उनका बचपन का नाम सिद्धार्थ था. उन्हें राजकुमार के रूप में सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त थीं, लेकिन वे जीवन के दुखों से अत्यंत दुखी थे. 29 वर्ष की आयु में सिद्धार्थ ने राजसी जीवन त्याग दिया और सत्य की खोज में निकल पड़े. उन्होंने छह वर्षों तक कठोर तपस्या की और ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास किया. अंततः 35 वर्ष की आयु में बोधगया (वर्तमान बिहार, भारत) में उन्हें ज्ञानोदय प्राप्त हुआ. इसके बाद उन्हें बुद्ध (जिसका अर्थ है "जागृत") के नाम से जाना गया.
गौतम बुद्ध की अंतिम यात्रा (How Buddha Spent His Last Day)
बुद्ध ने राजगृह, नालंदा, पावा और वैशाली जैसे कई स्थानों का भ्रमण करते हुए कुशीनगर की ओर प्रस्थान किया. रास्ते में उन्होंने कई लोगों को उपदेश दिए और उन्हें बौद्ध धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया. कुशीनगर पहुंचने पर मल्ल राजाओं ने बुद्ध का स्वागत किया. उन्होंने बुद्ध के लिए भिक्षुओं के निवास के लिए एक विशेष स्थान तैयार किया.
गौतम बुद्ध का अंतिम भोजन और बीमारी
मल्ल राजाओं ने बुद्ध के लिए एक भोज का आयोजन किया. एक लोहार कुंडा ने बुद्ध को भोजन भेंट किया. इस भोजन को ग्रहण करने के बाद बुद्ध अस्वस्थ हो गए. कुछ विद्वानों का मानना है कि कुंडा द्वारा दिया गया भोजन विषाक्त था, जिसके कारण बुद्ध को पाचन विकार हुआ. अन्य विद्वानों का मानना है कि बुद्ध की उम्र अधिक थी और उन्हें पहले से ही स्वास्थ्य समस्याएं थीं.
गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण
बुद्ध ने अपने शिष्य आनंद को अंतिम उपदेश दिया. इस उपदेश में उन्होंने बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों की शिक्षा दी. शेष भिक्षुओं को संबोधित करते हुए बुद्ध ने कहा कि उन्हें एकता बनाए रखने और बौद्ध धर्म की शिक्षाओं का पालन करने का आग्रह किया. रात के मध्य बुद्ध ने शवासन में लेटकर महापरिनिर्वाण प्राप्त किया. उनकी मृत्यु शांत और निर्वाण की अवस्था में हुई. महापरिनिर्वाण के बाद बुद्ध के शरीर को अग्नि में समाधि दी गई. उनकी अस्थियों को विभिन्न भागों में बांटा गया और विभिन्न स्तूपों में प्रतिष्ठित किया गया. महापरिनिर्वाण बौद्ध धर्म में एक महत्वपूर्ण घटना है. यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बौद्ध धर्म के अनुयायी बुद्ध की शिक्षाओं का पालन करते हैं और उनकी स्मृति में विशेष आयोजन करते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau