Devarishi Narada Story: नारद मुनी कैसे बने भगवान विष्णु के भक्त, जानें ये पौराणिक कथा 

वेदों के ज्ञान के कारण उन्हें

author-image
Inna Khosla
New Update
narada muni mythological story

narada muni mythological story( Photo Credit : Social Media)

Advertisment

Devarishi Narada Story: नारद मुनि, जिन्हें त्रिकालदर्शी और देवताओं के संदेशवाहक के रूप में जाना जाता है, ने अपनी भक्ति और तपस्या से भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त किया. देवर्षि नारद, जिन्हें वेदव्यास और सत्यवादी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान विष्णु के महान भक्त कैसे बने, इस बारे में कई कथाएं हैं जिनमें से एक यहां बतायी गयी है. नारद मुनि, जिन्हें वेदव्यास और सत्यवादी के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में एक महान ऋषि, संगीतकार, कथाकार और भगवान विष्णु के परम भक्त थे.  वे अपनी विद्वत्ता, भक्ति, संगीत कला और सत्यवादिता के लिए प्रसिद्ध थे. नारद मुनि का जन्म एक अद्भुत और रहस्यमय तरीके से हुआ था.  वे ब्रह्मा जी की नाभि कमल से उत्पन्न हुए थे.  जन्म के समय ही उन्हें वेदों और अन्य शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त हो गया था. 

नारद मुनि की कथा

नारद मुनि के पूर्व जन्म में वे एक गंधर्व थे, जिनका नाम उपबर्हण था. एक बार उन्होंने कुछ अप्सराओं के साथ स्वर्गलोक में भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन के दौरान अशोभनीय व्यवहार किया. इसके परिणामस्वरूप, उन्हें श्राप  मिला और वे गंधर्व योनि से निकलकर शूद्र योनि में जन्मे. शूद्र योनि में जन्म लेने के बाद, नारद का जन्म एक दासी के पुत्र के रूप में हुआ. उनकी माता एक साध्वी महिला थीं, जो साधुओं की सेवा करती थीं. जब नारद पाँच वर्ष के थे, उनकी माता की मृत्यु हो गई. इस घटना के बाद नारद ने जीवन के सत्य की खोज में साधुओं का अनुसरण किया और उनके साथ तपस्या और भजन-कीर्तन में समय बिताने लगे. साधुओं की संगति में रहते हुए, नारद ने वैराग्य, तपस्या और भक्ति की शिक्षा प्राप्त की. उन्होंने साधुओं से भगवान विष्णु के बारे में सुना और उनके जीवन का उद्देश्य भगवान विष्णु की भक्ति में समर्पित कर दिया. नारद ने कठोर तपस्या की और विष्णु भक्ति में लीन हो गए.

नारद की तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए. भगवान विष्णु ने नारद को आशीर्वाद दिया और कहा कि वे अगले जन्म में देवर्षि के रूप में जन्म लेंगे और हर लोक में यात्रा कर सकेंगे, भगवान विष्णु के नाम का प्रचार करेंगे और उनकी भक्ति करेंगे.

भगवान विष्णु के आशीर्वाद से नारद मुनि का पुनर्जन्म देवर्षि के रूप में हुआ. नारद अब सभी लोकों में विचरण कर सकते थे और भगवान विष्णु के अनन्य भक्त बन गए. नारद मुनि ने अपने भक्ति मार्ग का प्रचार किया और वेदों, पुराणों और अन्य धार्मिक ग्रंथों के ज्ञान को फैलाया. देवर्षि नारद ने अपने तपस्या और ज्ञान से भगवान विष्णु की भक्ति का प्रचार किया. वे कई महत्वपूर्ण घटनाओं में भी मुख्य भूमिका निभाते हैं, जैसे प्रह्लाद की भक्ति, ध्रुव की कथा, और कई अन्य कथाएं जो भगवान विष्णु की महिमा को प्रकट करती हैं.

नारद मुनि की कथा हमें यह सिखाती है कि भक्ति, तपस्या और सच्चे हृदय से की गई आराधना से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है. नारद मुनि की कहानी भक्ति, समर्पण और विष्णु की महिमा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. उनकी भक्ति और उनके संदेश आज भी भक्तों के लिए प्रेरणादायक हैं.

Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

Religion News in Hindi रिलिजन न्यूज Mythological Story Devarishi Narada Devarishi Narada Story Lord Vishnu
Advertisment
Advertisment
Advertisment