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Mata Vaishno Devi : माता वैष्णो देवी ने कैसे किया का भैरवनाथ का वध

Mata Vaishno Devi : माता वैष्णो देवी और भैरोनाथ के वध की ये कथा बेहद रोचक है. जब माता ने भैरोनाथ का वध किया तो फिर उनके दर्शन करने के लिए भक्तों को क्यों जाना पड़ता है. क्या है कहानी आइए जानते हैं.

Updated on: 19 Jun 2024, 09:51 AM

नई दिल्ली:

Mata Vaishno Devi : हिंदू धर्म में माता वैष्णो देवी सबसे पूजनीय देवी-देवताओं में से एक हैं. वह देवी दुर्गा का अवतार मानी जाती हैं और त्रिदेवी (लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती) का स्वरूप भी हैं. माता वैष्णो देवी की यात्रा भारत के सबसे लोकप्रिय तीर्थों में से एक है. माता वैष्णो देवी की यात्रा 13.5 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई है. यात्रा कटरा से शुरू होती है और भवन तक जाती है, जहां माता वैष्णो देवी की गुफा स्थित है. यात्रा के दौरान, श्रद्धालु कई पवित्र स्थानों पर रुकते हैं, जैसे कि अर्द्धकुमारी, पंचतरणी और भवानी माता. कहते हैं जो भी व्यक्ति माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद भैरवनाथ के दर्शन किए बिना लौट आता है उसकी मनोकामना  पूर्ण नहीं होती. क्या आप जानते हैं कि देवी वैष्णो ने ही भैरवनाथ का वध किया था, लेकिन कैसे और फिर उन्हें ये वरदान कैसे मिला कि मां वैष्णो देवी के दर्शन करने आए भक्त भैरवनाथ के भी दर्शन करेंगे ये बेहद रोचक कथा है.

माता वैष्णो देवी की पौराणिक कथा 

पौराणिक कहानियों के अनुसार, एक बार मां वैष्णो देवी के भक्तों ने नवरात्रि पूजन के लिए कन्याओं को बुलाया. माता रानी कन्या का रूप धारण कर वहां पहुंची. मां ने श्रीधर पंडित से गांव के सभी लोगों को भंडारे में आमंत्रित करने के लिए कहा. तब वैष्णवदेवी ने सभी को भोजन परोसना शुरू किया. भोजन परोसता समय कन्या भैरवनाथ के पास चली गयी. भैरोनाथ भोजन में मांस मंदिरा के सेवन की जिद करने लगा. कन्या ने उसे समझाने का प्रयास किया. भैरोनाथ क्रोधित हुआ और वो कन्या को बंदी बनाना चाहता था. भैरवनाथ जैसे ही ये प्रयास करता उससे पहले ही वायु रूपी माता त्रिकुटा पर्वत की ओर उड़ चली. 

इसी पर्वत की गुफा में पहुंचकर माता ने नौ महीने तक तपस्या की और उस समय हनुमान जी अपनी माता की रक्षा के लिए उनके साथ थे. भैरोनाथ भी उनका पीछा करते करते गुफा में पहुंच गया. तब वैष्णो देवी ने मां दुर्गा का रूप धारण किया और भैरवनाथ का संहार किया. वध के बाद भैरवनाथ को अपनी गलती का एहसास हुआ और उससे क्षमा मांगी. 

माता ने न सिर्फ उसे क्षमा किया बल्कि वरदान देते हुए कहा कि जो भी श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आएंगे उनकी यात्रा भैरो के दर्शन के बिना पूरी नहीं होगी. तभी से उस स्थान पर भैरोनाथ का मंदिर स्थापित हुआ.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)