Mythological Story: हिंदू धर्म में हनुमान जी और गरुड़ देव दोनों ही पूज्य देवता हैं. हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है. वे कष्टों से मुक्ति दिलाने वाले देवता हैं. हनुमान जी बुद्धि और विवेक के प्रदाता हैं और सही गलत के बीच विवेक करने में सहायता करते हैं. गरुड़ देव भगवान विष्णु का वाहन हैं. वे शक्तिशाली और पंखों वाला एक पौराणिक पक्षी हैं. गरुड़ देव ज्ञान और विद्या के देवता भी हैं. उन्हें वेदों का ज्ञान प्राप्त था. वे अमर हैं और मृत्यु पर विजय प्राप्त कर चुके हैं. हनुमान जी भक्ति, वीरता और ज्ञान के प्रतीक हैं, जबकि गरुड़ देव ज्ञान, अमरता, धर्म और मोक्ष के प्रतीक हैं.
एक बार हुआ यूं की विष्णु जी ने गरुड़ देव को हनुमान जी के पास भेजा बुलवाने तब तक हनुमान थोड़े बुजुर्ग होने लग गए थे. गरुड़ बैकुंठ धाम से विष्णु जी के आदेश पे उड़के गए और वो पहुंचे हनुमान जी के पास. पृथ्वी में उन्होंने बोला कि विष्णु जी आपको याद कर रहे हैं चलिए हनुमान बैठकर राम जब कर रहे थे, हनुमान बोले की आप चलिए, मैं पीछे पीछे आता हूँ. आपके घर उनको लगा. मुझे तो सिर्फ यही कहा गया था कि इनको इन्फॉर्म करना, इनको इनको सूचित करना है. मैंने अपना काम कर दिया. फिर भी घर उनको लगा कि अब ये बूढ़े हो रहे हैं, इनको मैं ले चलूंगा तो इनके लिए रास्ता आसान हो जाएगा. गरुण को इस बात का बहुत गुमान हो गया था. बहुत अहंकार हो गया था कि गरूड़ से तेज और कोई नहीं उड़ सकता तो गरुड़ ने बोला कि आप थोड़े बुजुर्ग हो रहे हैं. आइए आपको मैं अपने साथ ले चलता हूं, मुझपे बैठ जाइए, हनुमान जी ने फिर से कहा कि मैं अभी अपना जाप खत्म करूंगा, उसके बाद आऊंगा. आप चलिए मैं आता हूं. गरुड़ निकल गए और पूरी स्पीड से उड़ के वापस विष्णु जी के पास बैकुंठ धाम पहुंचे.
मगर वहां पहुंच के देखते क्या है? वो देखते हैं कि हनुमान जी यहां पहले से ही बैठे हुए हैं. विष्णु जी के पांव के पास बैठकर वो पूछ रहे हैं कि प्रभु मुझे कैसे याद किया. गरुड़ को समझ में नहीं आया कि मैं इतने वेग से उड़ के आया हूं, मुझसे पहले हनुमान जी पहुंचे तो पहुंचे कैसे? और उनके दिमाग में एक और सवाल था कि अगर हनुमान जी यहां पहुंच भी गए थे तो द्वारपाल जो उस दिन सुदर्शन चक्र थे वो हनुमान को अंदर कैसे आने दिया, सुदर्शन चक्र ने हनुमान को विष्णु जी के पास आने से रोका क्यों नहीं.
अब गरुड़ की खोज शुरू हुई कि सुदर्शन चक्र है कहाँ, द्वारपाल सुदर्शन चक्र अगर द्वार पे नहीं है तो गया कहां गया. विष्णु जी मुस्कुराए और हनुमान जी बोले हे हनुमान कहा है मेरा सुदर्शन चक्र, हनुमान जी ने मुंह खोला और मुंह के अंदर से सुदर्शन चक्र निकला. सुदर्शन चक्र को इस बात का अभिमान हो गया था कि उससे ताकतवर कोई अस्त्र-शस्त्र नहीं है और गरुड़ देव को इस बात का अभिमान हो गया था की उनसे तेज़ को कोई उड़ नहीं सकता. हनुमान जी ने एक ही सफर में इन दोनों की सारा अहंकार दूर कर दिया. वो अस्त्रों में सर्वश्रेष्ठ सुदर्शन चक्र को निगल गए थे और गरुड़ से पहले विष्णु जी के पास पहुंच गए थे.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau